नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चावल का भाव एक बार फिर तेज और मजबूत होने लगा है जबकि कुछ समय पूर्व इसमें 10-15 प्रतिशत तक की गिरावट आ गई थी। पाकिस्तान फिलहाल चावल के वैश्विक निर्यात बाजार में भारत को मजबूत चुनौती पेश कर रहा है।
चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष का कहना है कि कीमतों में काफी नरमी के बाद चावल का दाम मजबूत होने लगा है क्योंकि एक तो रमजान का समय नजदीक आने लगा है और दूसरे घरेलू प्रभाग में धान की कटाई में देर हो गई है।
एक अन्य विश्लेषक के मुताबिक जब भारत में चावल के निर्यात की उदार नीति की घोषणा करते हुए शुल्क और प्रतिबंध को वापस लेने का निर्णय लिया गया तथा पाकिस्तान और थाईलैंड जैसे देशों ने अपने चावल के निर्यात ऑफर मूल्य में 10-15 प्रतिशत की कटौती कर दीं, लेकिन फिलीपींस एवं इंडोनेशिया जैसे देशों की बढ़ती मांग के कारण अब कीमतों में दोबारा सुधार आने लगा है। फिलीपींस के आयातक नई फसल के चावल की खरीद में अच्छी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
थाई चावल निर्यातक संघ के अनुसार थाईलैंड के 5 प्रतिशत टूटे चावल सफेद चावल का निर्यात ऑफर मूल्य फिलहाल 516 डॉलर प्रति टन, वियतनामी चावल का 520-524 डॉलर प्रति टन, पाकिस्तानी चावल का 455-459 डॉलर प्रति टन और भारत के 5 प्रतिशत टूटे सफेद चावल का निर्यात ऑफर मूल्य 453-457 डॉलर प्रति टन चल रहा है। पिछले एक पखवाड़े के दौरान इसमें 10 डॉलर प्रति टन का इजाफा हुआ है।
दिल्ली के एक अग्रणी निर्यातक के अनुसार धान की नई फसल से निर्मित चावल का फ्री ऑन बोर्ड निर्यात ऑफर मूल्य 460 डॉलर प्रति टन चल रहा है। भारतीय निर्यातकों के साथ समस्या यह है कि यहां परिवहन खर्च पाकिस्तान से ऊंचा बैठता है।
चीन से भारी मात्रा में चावल का निर्यात होने का प्रमुख कारण यही है कि वहां से परिवहन खर्च पाकिस्तान से भी नीचे है। उदाहरणस्वरूप पाकिस्तान के कराची बंदरगाह से मारीशस के पोर्ट लुई तक का किराया 45 डॉलर प्रति कंटेनर चल रहा है जबकि भारत के मूंदड़ा बंदरगाह से वहां तक की पहुंच का किराया 90 डॉलर प्रति कंटेनर बताया जा रहा है।
इसके अलावा पाकिस्तान मुद्रा की विनिमय दर भी भारत की तुलना में अमरीकी डॉलर के मुकाबले काफी नीचे है। लेकिन पाकिस्तान भारत के साथ केवल सीमित प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम है और बाद में भारतीय चावल का निर्यात प्रदर्शन बेहतर होता जाएगा।