शहीदों के बच्चों को निःशुल्क कोचिंग देगा इनर्जी संस्थान

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सामाजिक सरोकार : अनुभवी कोचिंग शिक्षक ने सैनिक परिवारों का किया सम्मान

अरविन्द , कोटा। शिक्षा नगरी में ‘इनर्जी’ कोचिंग संस्थान ने गुरूवार को चौथे स्थापना दिवस समारोह पर दिवंगत शहीदों के बच्चों के नाम ‘निःशुल्क क्लासरूम कोचिंग योजना’ लांच की। संस्थापक निदेशक निशान्त पोरवाल ने कहा कि शिक्षा नगरी में सेना तथा सैन्य सेवाओं से जुडे़ दिवंगत जांबाज सैनिकों के बच्चों को जेईई-मेन तथा जेईई-एडवांस्ड की क्लासरूम कोचिंग जीरो ट्यूशन फीस पर दी जाएगी। उन्हें शैक्षणिक सत्र में स्टडी मेटेरियल व रजिस्टर आदि सामग्री भी निशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।

पोरवाल ने बताया कि गत 12 वर्षों में उन्होंने कोटा में इंटीग्रेटेड क्लासरूम कोचिंग देते हुए 10 हजार से अधिक विद्यार्थियों को विभिन्न आईआईटी संस्थानों में एडमिशन दिलाया। जेईई-एडवांस्ड,2017 में संस्थान के 40 विद्यार्थियों में से 32 को विभिन्न आईआईटी में दाखिला मिला। 2016 में 82 प्रतिशत छात्रों को सफलता मिली। संस्थान के स्थापना दिवस पर शहर में सेना से जुडे़ अधिकारियों एवं परिजनों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया

उन्होंने बताया कि दिवंगत सैनिकों के बच्चों को पूरे वर्ष अच्छे विद्यार्थियों के साथ निःशुल्क क्लासरूम कोचिंग दी जाएगी ताकि वे अपने माता-पिता का सपना पूरा कर सकें। गुरूवार को बेटी वान्या के जन्मदिन पर उन्होंने सामाजिक सरोकार के तहत यह योजना लांच की, जिसका अभिभावकों एवं विद्यार्थियों ने तालियों की गूंज से स्वागत किया।

निर्धन बच्चों को स्टडी मेटेरियल मुफ्त
रोड़ नंबर-2 स्थित इनर्जी कोचिंग संस्थान द्वारा सामाजिक सरोकार के तहत निर्धन विद्यार्थियों को जेईई-मेन तथा एडवांस्ड की तैयारी करने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ्स का स्टडी मैटेरियल तथा रजिस्टर आदि निःशुल्क दिए जाएंगे। निदेशक निशांत पोरवाल माता स्व.श्रीमती मनोरमा गुप्ता की स्मृति में निर्धन विद्यार्थियों को दो वर्ष से निःशुल्क रजिस्टर वितरित करते हैं। प्रत्येक रजिस्टर में एमआरपी के स्थान पर ‘स्टडी हार्ड’ अंकित है।

कारगिल में एक शहीद से मिली प्रेरणा
अनुभवी शिक्षक निशान्त पोरवाल ने बताया कि कानपुर में क्लास-12वीं में एक दोस्त के सैनिक पिता कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे, जिससे समूचा परिवार हिल उठा। कुछ माह बाद मां भी चल बसीं। जिससे सैन्य परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा।

लेकिन उनके पुत्र ने हिम्मत नहीं हारी, पैसे उधार लेकर पढ़ाई जारी रखी और गाजियाबाद से बीटेक किया। आज वह यूएस में एचसीएल कंपनी में उच्च पद पर है। उसने हौसले से परिवार को संभाला। उससे प्रेरित होकर निशांत ने तय किया कि शिक्षक होकर वह ऐसी पहल करेंगे, जिससे किसी शहीद के परिवार को संबल मिले। इसी भावना से यह योजना प्रारंभ की।