सजा आकर्षक मंडप, देव उत्थापन में प्रभु के सम्मुख हुआ शालीगराम का पंचामृत

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श्री मथुराधीश मंदिर पर देव प्रबोधिनी एकादशी पर लगे ठाकुरजी के जयकारे

कोटा। शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ श्रीबड़े मथुराधीश मंदिर पर मंगलवार को देव प्रबोधिनी एकादशी के अवसर पर पुष्टिमार्गीय परंपरा के अनुसार श्रृंगार, राग और भोग की सेवा की गई। इस दौरान मंदिर में श्रीठाकुरजी की निज तिबारी में आकर्षक मंडप सजाया गया। जहाँ संध्या आरती के समय झालर, घंटा, शंख नाद के बीच देव उत्थापन की विधि सम्पन्न हुई।

रंगों की रंगोली बनाकर मंडप की रचना की गई। जिस पर चारों आयुध शंख, चक्र, गदा और पद्म बनाए गए थे। स्वास्तिक के साथ पुष्प लताएं, तोरण आदि सजाए गए थे। उसके ऊपर गन्ने का मंडप तैयार कर बांस की टोकरी में विभिन्न भाजिया रखी गई।

प्रभु के सम्मुख शालीगराम जी का पंचामृत भी हुआ। इस अवसर पर गादी तकिया और चरण चौकी पर बिछावट की गई। चरण चौकी के साथ पडघा, बंटा जडाऊ स्वर्ण के थे। शाम को भक्त प्रभु के दर्शन के लिए उमड़ पड़े। भक्तों ने मथुराधीश प्रभु के जयकारों से पूरे मंदिर परिसर को गुंजायमान कर दिया।

देवोत्थान श्रृंगार किया
प्रबोधिनी एकादशी पर प्रभु का देवोत्थान श्रृंगार किया गया। वस्त्र सेवा में सुनहरी जरी की मीनाकारी से सुसज्जित सूथन, घेरदार वागा, चोली, पटका तथा ठाड़े वस्त्र के धराए गए। प्रभु को छडान का हल्का श्रृंगार, कंठहार, बाजूबंद, पौन्ची, हस्त सांखला, मस्तक पर जरी का पाग, नवरतन की कलंगी, मोरपंख की सादी चंद्रिका, शीशफूल, मीना के वेणुजी धराए गए।

रात को जागरण, रात को 2 बजे हुए मंगला के दर्शन
देव उत्थापन के बाद मंगलवार को पूरी रात जागरण किया गया। बुधवार को तड़के 2 बजे मंगला आरती के दर्शन हुए। मिलन बावा ने बताया कि बुधवार को प्रातः 5.30 बजे राजभोग के दर्शन होंगे। उत्थापन अपराह्न 3 बजे, भोग आरती शामिल: 4 बजे तथा शयन के दर्शन शाम 5.30 बजे से सेवानुकूल समय में होंगे।

श्रीगिरधरजी का प्राकट्य उत्सव कल
मिलन बावा ने बताया कि बुधवार द्वादशी को प्रथम गृह के आदि गृहाधीरश्वर श्रीगिरधरजी का प्राकट्य उत्सव मनाया जाएगा। इस दिन श्रीठाकुरजी का भारी श्रृंगार किया जाएगा। वहीं बधाई गाई जाएगी। ठाकुरजी जी के सम्मुख गिरधरलाल जी की कुंडली का वाचन किया जाएगा। इस दौरान दोनों दिन प्रभु के दर्शनों के समय में भी बदलाव किया गया है।