नई दिल्ली। अपने लाइटवेट और गर्माहट के लिए जाने जानी वाली जयुपरी रजाई का बिजनेस इस साल ठंडा चल रहा है। कारोबारियों का कहना है कि बिजनेस पर पिछले साल नवंबर में हुई नोटबंदी का असर अभी भी है। ऊपर से इस साल जुलाई में लागू हुए GST के चलते डिमांड कम होने से जयपुरी रजाई के बिजनेस को 50 फीसदी का झटका लगा है।
लोगों ने पुराने नोट चलाने के लिए खरीद लिया एक्स्ट्रा माल
जयपुर रजाई व्यापार संघ के प्रेसिडेंट हरिओम लश्करी ने लेन देन न्यूज़ से बातचीत में बताया कि पिछले साल हुई नोटबंदी में पुराने नोट चलाने के लिए लोगों ने एक्स्ट्रा माल खरीद लिया, जिसके चलते इस साल माल खरीदने की जरूरत नहीं पड़ रही है। ऊपर से इस साल GST लागू हो गया। जीएसटी की वजह से रजाइयां महंगी हो गईं और डिमांड गिर गई।
लश्करी ने बताया कि जयपुरी रजाई पर शुरुआत में 18 फीसदी और 28 फीसदी टैक्स लगाया गया था। 1000 रुपए तक की रजाई पर 18 फीसदी और इससे ज्यादा की रजाई पर 28 फीसदी टैक्स तय किया गया था। लेकिन व्यापारियों ने सरकार से अपील की कि इसे घटाया जाए।
उसके बाद जयुपरी रजाई पर टैक्स घटकर क्रमश: 5 फीसदी और 12 फीसदी हो गया। लेकिन चूंकि अब भी टैक्स की रेट ज्यादा है और डिमांड लगातार कम हो रही है, इसलिए व्यापारी टैक्स की रेट को घटाकर हर रेट वाली रजाई के लिए 5 फीसदी करने की मांग कर रहे हैं ताकि ग्राहक इसे खरीद सकें।
एक्सपोर्ट में भी गिरावट
जयपुर से जापान, लंदन आदि जगहों पर जयुपरी रजाई का एक्सपोर्ट किया जाता है। लेकिन इस साल एक्सपोर्ट में भी गिरावट आई है। इसकी वजह है कि कारोबार ठंडा होने की वजह से व्यापारियों को पैसों की किल्लत हो रही है और वे माल तैयार नहीं कर पा रहे हैं।
क्या है इस रजाई की खासियत
जयपुरी रजाई का वजन बहुत हल्का होता है, उसके बावजूद यह बहुत गर्म होती है। इसके अलावा इसकी रुई काफी अच्छी क्वालिटी की होती है। लाइटवेट और आसानी से फोल्ड हो सकने के कारण इन्हें सफर में आसानी से ले जाया जा सकता है।
जयुपर में 250 से 500 ग्राम रुई वाली रजाई भी बिकती हैं। बाजार में 300 से रुपए से लेकर 3000 रुपए तक की जयपुरी रजाई उपलब्ध है। कपड़े की बात करें तो यह कॉटन, सिल्क व वेलवेट तीनों तरह के कपड़े में बनाई जाती है। 3000 रुपए की रजाई में कॉटन और वेलवेट दोनों तरह की रजाई शामिल है।
राजस्थान में केवल 10 फीसदी कारोबार
लश्करी ने बताया कि जयुपरी रजाई का 90 फीसदी बिजनेस अन्य राज्यों से है, केवल 10 फीसदी बिक्री राजस्थान में होती है। जयपुर से इस रजाई की सप्लाई यूपी, बिहार, असम,, पंजाब, दिल्ली आदि राज्यों में सप्लाई होती है।