समय खराब हो तब योजनाएं बदल सकते हैं, लेकिन लक्ष्य नहीं: आदित्य सागर

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कोटा। जैन मंदिर ऋद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में अध्यात्म विशुद्ध ज्ञान पावन वर्षायोग में सोमवार को आदित्य सागर मुनिराज ने अपने नीति प्रवचन में कहा कि जीवन में समय कभी एक जैसा नहीं रहता। कभी व्यक्ति शिखर पर होता है तो कभी नीचे। ऐसे में व्यक्ति को अपने समय को पहचानना बेहद जरूरी है। जब समय अनुकूल हो तब घमंड नहीं करना चाहिए और जब प्रतिकूल हो तब धैर्य रखना चाहिए।

गुरूदेव ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि जैसे सोने को भी तपना पड़ता है, कटना-पिटना पड़ता है, वैसे ही जीवन में भी उतार-चढ़ाव आते हैं। उन्होंने श्री राम का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके जैसा महान व्यक्तित्व भी समय के प्रभाव से अछूता नहीं रहा।

उन्होंने कहा कि जब समय खराब हो तब योजनाएं बदली जा सकती हैं, लेकिन लक्ष्य नहीं। जैसे कि बीमारी में डॉक्टर की सलाह पर कुछ समय के लिए खान-पान में परिवर्तन किया जाता है। बुरे समय में धैर्य रखने वाला ही सफलता की ऊंचाइयों को छूता है।

समय की बदलती चाल में आज जो अर्श पर है, वह कभी फर्श पर भी आ सकता है, और जो आज फर्श पर है, वह कल ऊंचाईयों पर भी पहुँच सकता है। इसलिए, हर व्यक्ति को चाहिए कि वह समय के संकेतों को पहचाने और उसके अनुसार अपनी योजनाओं में बदलाव करे।

जीवन में आने वाले अच्छे-बुरे समय से घबराना नहीं चाहिए। अच्छे समय में विनम्र रहें और बुरे समय में धैर्य के साथ परिस्थितियों का सामना करें। मंच संचालन पारस कासलीवाल एवं संजय सांवला ने किया।

इस अवसर पर सकल दिगम्बर जैन समाज के सरंक्षक राजमल पाटोदी, कार्याध्यक्ष जे के जैन,अशोक पहाडिया, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज आदित्य, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा, ऋद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला, पारस कासलीवाल, पारस लुहाड़िया, दीपक नान्ता, पीयूष बज, दीपांशु जैन, राजकुमार बाकलीवाल, जम्बू बज, महेंद्र गोधा, पदम बाकलीवाल, अशोक पापड़ीवाल सहित कई शहरों के श्रावक उपस्थित रहे।