नई दिल्ली। Fast Moving Consumer Goods: कच्चे पाम ऑयल की कीमतों में तेजी के बाद अब भारतीय उपभोक्ता कंपनियों ने कीमतों में बढ़ोतरी ग्राहकों पर डालने के लिए साबुन से लेकर खाद्य तेलों के दाम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। कुछ उपभोक्ता वस्तुओं में कच्चा पाम ऑयल मुख्य सामग्री होता है जिसकी कीमतों में पिछले तीन महीनों के दौरान 45.2 फीसदी का इजाफा हुआ है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर ने कहा कि उसने पहले से ही त्वचा स्वच्छता की श्रेणी में कीमतें बढ़ानी शुरू कर दी हैं। कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी ने नतीजों के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘इस तिमाही में लंबे समय से जिंस की कीमतों में नरमी के बाद एक साल पहले के मुकाबले कच्चे पाम ऑयल में 10 फीसदी और चाय की कीमतों में 25 फीसदी की वृद्धि हुई है।’
विश्लेषकों के साथ कॉन्फ्रेंस कॉल में गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी सुधीर सीतापति ने भी कीमतें बढ़ाकर मौजूदा कच्चे पाम ऑयल की कीमत वृद्धि से निपटने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘तेल पर आयात शुल्क के कारण पहले से ही ऊंची कीमतों में और इजाफा हो गया। हमें लगता है कि यह थोड़े समय के लिए है और हम अगली कुछ तिमाहियों में मूल्य में विवेकपूर्ण वृद्धि और लागत स्थिरता के बल पर मार्जिन में सुधार कर लेंगे।’
गोदरेज कंज्यूमर ने कहा, ‘पाम ऑयल और उसके उप उत्पादों की कीमतें बढ़ रहीं हैं और इस साल की शुरुआत से अब तक इसमें दो अंकों की वृद्धि हो चुकी है। प्रबंधन ने पूरी लागत वृद्धि का सारा ही बोझ ग्राहकों पर नहीं डालने का फैसला किया है और इसलिए मूल्य वृद्धि कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि से कम ही होगी।’
अदाणी विल्मर के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी अंशु मलिक ने कहा, ‘हम शायद इस वृद्धि को दोहरा नहीं पाएं मगर एक बात तो तय है कि यह सब बेहतर वितरण बुनियादी ढांचे के निर्माण के ठोस प्रयासों के कारण हो रहा है। खाद्य तेल की कीमतें 25-30 फीसदी बढ़ गई हैं और इसका असर खपत पर भी पड़ेगा।’