आयातित खाद्य तेलों की कमी बता कर प्लांट वाले तेल महंगा बेचने की कर रहे साजिश

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मुम्बई। Edible Oil Import: प्लांट वाले आयातित खाद्य तेलों की कमी बता कर तेल महंगा बेचने की साजिश कर रहे हैं। इस कारण त्योहारों पर तेल महंगा होने से रसोई का बजट बिगड़ रहा है।

प्रमुख निर्यातक देशों में भाव ऊंचा रहने तथा भारत में आयात शुल्क में 20 प्रतिशत का इजाफा होने से खाद्य तेलों के घरेलू बाजार मूल्य में पिछले एक माह के दौरान 10 से 13 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हो चुकी है और आगामी महीनों के दौरान बाजार में तेजी-मजबूती का माहौल बरकरार रहने की संभावना है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पिछले एक माह के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर औसत खुदरा मूल्य सोयाबीन तेल का 127 रुपए से 10 रुपए बढ़कर 137 रुपए प्रति लीटर, सूरजमुखी तेल का 129 रुपए से 13 रुपए उछलकर 142 रुपए प्रति लीटर, सरसों तेल का 151 रुपए से 13 रुपए उछलकर 164 रुपए प्रति लीटर तथा पाम तेल का 110 रुपए से 13 रुपए बढ़कर 123 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया।

केन्द्र सरकार फिलहाल आयात शुल्क में वृद्धि को वापस लेने के मूड में नहीं है और वह तिलहन-तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए इस शुल्क वृद्धि को आवश्यक मानती है। भारत दुनिया में खाद्य तेल का सबसे बड़ा आयातक देश बना हुआ है और अपनी कुल घरेलू मांग एवं जरूरत के 55-60 प्रतिशत भाग को विदेशों से आयात के जरिए पूरा करता है।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के अध्यक्ष के अनुसार भारत में सीमा शुल्क की दर में 20 प्रतिशत बिंदु की बढ़ोत्तरी के बाद वैश्विक बाजार में खाद्य तेलों का भाव घटने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन इसके विपरीत आपूर्ति की जटिलता के कारण दाम बढ़ गया।

इससे आयात खर्च में बढ़ोत्तरी हो रही है। व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि जब तक निर्यातक देशों में खाद्य तेलों का मूल्य नहीं घटेगा तब तक घरेलू बाजार में नरमी आना मुश्किल है। पूर्व में आयातित खाद्य तेलों का स्टॉक लगभग समाप्त हो चुका है और अब नया आयातित तेल बाजार में पहुंच रहा है।

उल्लेखनीय है कि भारत में मुख्यतः इंडोनेशिया, मलेशिया एवं थाईलैंड से पाम तेल, रूस, रोमानिया, यूक्रेन एवं अर्जेन्टीना से सूरजमुखी तेल एवं अर्जेन्टीना, ब्राजील तथा कुछ अन्य देशों से सोयाबीन तेल का आयात किया जाता है।