निर्यात, पुराना स्टॉक और बुवाई से तय होगा इस बार धनिया का बाजार भाव

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-दिनेश माहेश्वरी-
कोटा।
धनिया की बिजाई का सीजन निकट आ गया है और तीनों प्रमुख उत्पादक प्रांतों- गुजरात, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में किसानों ने इसकी खेती के लिए आवश्यक तैयारी शुरू कर दी है। इस बार इन राज्यों में दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी वर्षा हुई है और खेतों की मिटटी में नमी का पर्याप्त अंश मौजूद है।

मानसून के प्रस्थान करने के बाद वहां मौसम साफ हो गया है। इससे धनिया की बिजाई के लिए परिस्तितियां अनुकूल हो गई हैं। पिछले साल जीरा का भाव रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर पहुंचने से गुजरात के किसानों ने धनिया का क्षेत्रफल काफी घटा दिया था और जीरा का रकबा बढ़ाया था। इस बार जीरा का दाम सामान्य स्तर पर होने से वहां धनिया के बिजाई क्षेत्र में कुछ इजाफा हो सकता है।

पिछले कुछ दिनों से धनिया का भाव एक निश्चित सीमा में थोड़े-बहुत उतार-चढ़ाव के साथ लगभग स्थिर बना हुआ है। उत्पादकों की बिकवाली कम होने से प्रमुख मंडियों में धनिया की सीमित आवक हो रही है जिससे कीमतें में कुछ हद तक मजबूती का माहौल कायम रह सकता है।

इससे उत्पादकों को धनिया का रकबा बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। समझा जाता है कि त्यौहारी सीजन के बाद लग्नसरा का सीजन आरंभ होने पर धनिया की घरेलू मांग में कुछ इजाफा हो सकता है जो बाजार को मजबूत बनाए रखने में सहायक साबित होगा।

राजस्थान की रामगंज मंडी में औसतन 3000-3500 बोरी तथा बारां मंडी में 500-700 बोरी धनिए की दैनिक आवक हो रही है। इन मंडियों में धनिया का भाव 6400 से 7200 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बताया जा रहा है।

धनिया का निर्यात प्रदर्शन उत्साहवर्धक नहीं देखा गया। चालू वित्त वर्ष के शुरूआती चार महीनों में यानी अप्रैल-जुलाई 2024 के दौरान देश से केवल 21,075 टन धनिया का निर्यात हो सका जो पिछले साल की समान अवधि के शिपमेंट 59,647 टन से काफी कम रहा।

इसी तरह इसकी निर्यात आय में समीक्षाधीन अवधि में 476.34 करोड़ रुपए से लुढ़ककर 216.04 करोड़ रुपए पर सिमट गई। धनिया का सीमित स्टॉक रहेगा जब इसके नए माल की आवक फरवरी-मार्च 2025 में शुरू होगी। यदि अच्छी बिजाई हुई तो कीमतों में ज्यादा तेजी की संभावना नहीं रहेगी लेकिन यदि किसानों ने गेहूं, चना एवं सरसों की खेती को प्राथमिकता देकर धनिया का बिजाई क्षेत्र नहीं बढ़ाया तो भाव ऊंचा हो सकता है।