कोटा। शुद्धाद्वैत प्रथमपीठ श्री मथुराधीश प्रभु के पाटनपोल स्थित मंदिर पर सोमवार से प्रभु के सांझी मनोरथ के दर्शन होंगे। प्रथम पीठ युवराज गोस्वामी मिलन कुमार बावा ने बताया कि सांझी मनोरथ उत्सव में रंगोली सांझी की झांकी के दर्शन हो सकेंगे।
पितृ पक्ष के दौरान मंदिर में आयोजित होने वालीं सांझी रचनाओं का प्रतिवर्ष विशेष आकर्षण रहता है। पितृ पक्ष के दौरान आयोजित होने वाली सांझी मनोरथ के दौरान मंदिर में फूलों से, रंगों द्वारा कलात्मक सांझियां तैयार की जाती हैं। उन्होंने बताया कि सोमवार से पाटे पर गुलाल से सांझी बनेगी। इसके बाद पितृ पक्ष 5में चौक में सांझियां बनाई जाएंगी।
उन्होंने बताया कि वल्लभ कुल के मंदिरों में सांझी मनोरथ की पुरानी परम्परा है। जिनके अंतर्गत प्रभु सेवा में बनी सांझी का अंकन आकर्षण का केंद्र होता है।रंग सांझी तैयार करने के दौरान सूखे रंगों को, छोटे सूती कपड़े की पोटरियों द्वारा उंगलियों के संचालन से रंग छानते हुए कलात्मक बेल बूटे तैयार करते हैं तो दृश्य देखने लायक होता है। फूलों से बनने वाली कलात्मक साँझियाँ भी सहज ही मोहित करतीं हैं। इसे राधे रानी का प्रतिरूप मानकर शाम के समय सांझियों की आरती होती है।
राधारानी गोपियों के संग बनातीं थी सांझी
मान्यता के अनुसार जब श्रीकृष्ण गौचारण कर लौटते थे तो गोधूलि बेला में राधारानी गोपिकाओं के साथ मार्ग को विभिन्न प्रकार के पुष्पों से सजा देतीं थीं। जिसे देख श्रीकृष्ण तथा ग्वाल मण्डली आनंदित होती थीं। आज भी वल्लभ संप्रदाय के मंदिरों में इस परम्परा का अनुकरण होता है।