भारी बारिश के चलते कपास की फसल को भारी नुकसान, कीमतें बढ़ने का अनुमान

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नई दिल्ली। कपास उत्पादक प्रमुख राज्य गुजरात और महाराष्ट्र में भारी बारिश के चलते कपास की फसल भारी नुकसान हुआ है। बोआई के आंकड़े पहले से ही कमजोर दिखाई दे रहे हैं। जिसके चलते कपास की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

पिछले एक महीने में कपास के दाम करीब छह फीसदी बढ़ चुके हैं। सितंबर महीने में हो रही बारिश के कारण कपास की फसल और प्रभावित हो सकती है जिसके चलते कीमतें भी तेजी से बढ़ेगी।

हाजिर बाजार में कपास के दाम 29000 रुपये प्रति कैंडी के करीब पहुंच चुके हैं जो कि एक महीने पहले 27 हजार के आसपास चल रहे थे। जबकि मानसून की शुरुआत यानी 11 जून को कॉटन 29 एमएम की कीमत 26663 रुपये प्रति कैंडी थी। कीमतों में हो रही लगातार बढ़ोतरी की वजह आपूर्ति कमी, कम बोआई और लगातार हो रही बारिश है।

कपास कारोबारी दिलीप कनोडिया के मुताबिक बारिश के कारण इस साल 20-25 फीसदी कपास फसल का नुकसान हुआ है। गुजरात और महाराष्ट्र के कई इलाकों में अभी भी खेतों में पानी भरा है, खेतों से पानी निकलने के बाद नुकसान का सही आकलन हो पाएगा।

केडिया एडवाइजरी के मुताबिक भारत के चालू खरीफ सीजन में कपास की खेती का रकबा पिछले साल के 121.24 लाख हेक्टेयर की तुलना में लगभग 9 फीसदी घटकर 110.49 लाख हेक्टेयर रह गया है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) को उम्मीद है कि इस साल कपास की कुल खेती का रकबा लगभग 113 लाख हेक्टेयर रहेगा। क्योंकि कई किसान कम पैदावार और उच्च उत्पादन लागत के कारण अन्य फसलों की ओर रुख कर रहे हैं।

आंकड़ों के अनुसार खरीफ 2023-24 सीजन के दौरान देशभर में कपास बोआई का रकबा 124.69 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था । इसमें से महाराष्ट्र में 42.34 लाख हेक्टेयर रकबे के साथ सबसे ऊपर है। इसके बाद गुजरात 26.83 लाख हेक्टेयर के साथ दूसरे नंबर पर और तेलंगाना 18.18 लाख हेक्टेयर के साथ चौथे स्थान पर है।

इस साल गुजरात में करीब 90.60 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 80.45 लाख गांठ, तेलंगाना में 50.80 लाख गांठ, राजस्थान में 26.22 लाख गांठ और कर्नाटक में 20.47 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलोग्राम) कपास का उत्पादन का अनुमान है।

CAI के मुताबिक 2023-24 के लिए भारत का कपास उत्पादन और खपत दोनों लगभग 325 लाख गांठ होने की उम्मीद है, जिसमें निर्यात 28 लाख गांठ और आयात 13 लाख गांठ होगा।

स्पिनिंग मिलों के पास वर्तमान में 25 लाख गांठें हैं, जबकि जिनर्स और कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के पास क्रमशः 15 लाख और 20 लाख गांठें हैं। वैश्विक मोर्चे पर, 2024-25 कपास बैलेंस शीट को संशोधित किया गया है, जिसमें उत्पादन, खपत और अंतिम स्टॉक में कटौती की गई है।

वैश्विक उत्पादन में 2.6 मिलियन गांठों की कटौती की गई है, जिसका मुख्य कारण अमेरिका और भारत में कम पैदावार है। खपत में भी लगभग 1 मिलियन गांठों की कमी आई है, जो कि ज्यादातर चीन में है। दुनिया भर में अंतिम स्टॉक अब 77.6 मिलियन गांठ होने का अनुमान है।