केंद्र सरकार ने पूजा खेडकर को तत्काल प्रभाव से भारतीय प्रशासनिक सेवा से हटाया

0
5

पिछड़ा वर्ग तथा दिव्यांगता कोटा का गलत तरीके से लाभ लेने का आरोप

नई दिल्ली। Discharges puja khedkar from IAS: केंद्र सरकार ने पूजा खेडकर को तत्काल प्रभाव से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से हटा दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है। पूजा खेडकर के खिलाफ धोखाधड़ी करने और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) तथा दिव्यांगता कोटा का लाभ गलत तरीके से लेने का आरोप है।

केंद्र ने यूपीएससी एग्जाम में ओबीसी और दिव्यांगता कोटे का दुरुपयोग करने के आरोप में पूजा खेडकर के खिलाफ कार्रवाई की है। केंद्र सरकार ने आईएएस (प्रोबेशन) नियम, 1954 के नियम 12 के तहत पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर, आईएएस प्रोबेशनर (MH:2023) को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से तत्काल प्रभाव से मुक्त किया है।

पूजा खेडकर की कानूनी परेशानियां तब शुरू हुईं जब यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 के लिए अपने आवेदन में आरक्षण लाभ प्राप्त करने के लिए गलत जानकारी प्रस्तुत की। यूपीएससी और दिल्ली पुलिस दोनों ने उन पर जाली दिव्यांगता प्रमाण पत्र जमा करने का आरोप लगाया है, जिसमें 2022 और 2023 की परीक्षाओं के लिए दो अलग-अलग दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया है।

इससे पूर्व संघ लोक सेवा आयोग ने 31 जुलाई को खेडकर की उम्मीदवारी रद्द करते हुए उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से वंचित कर दिया था। यूपीएससी ने पहले कहा था कि उसने आयोग और जनता के खिलाफ धोखाधड़ी की है, और साजिश को उजागर करने के लिए उसे हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है।

हालांकि, खेडकर ने सभी आरोपों से इनकार किया है। गुरुवार को खेडकर ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि वह एम्स में अपनी मेडिकल जांच कराने को तैयार हैं, क्योंकि दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि पूजा का एक दिव्यांगता प्रमाण पत्र ‘जाली’ और ‘फर्जी’ हो सकता है।

खेडकर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि, वह अपनी मेडिकल जांच कराने को तैयार हैं। उन्होंने यह दलील तब दी जब अदालत आपराधिक मामले में उसकी अग्रिम जमानत याचिका पर विचार कर रही थी।

बता दें कि, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने अगस्त महीने में पूजा खेडकर के खिलाफ एक्शन लिया था। खेडकर के खिलाफ फर्जी पहचान बताकर सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के लिए आपराधिक मामला दर्ज करना भी शामिल था। दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथिमिकी दर्ज की है।