नई दिल्ली। बीते सप्ताह सोयाबीन तेल का दाम टूटने के कारण देश के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों, मूंगफली एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के भाव गिरावट के साथ बंद हुए। वहीं हल्की त्योहारी मांग की वजह से बिनौला तेल के दाम में मामूली तेजी रही। बाजार सूत्रों ने कहा कि सोायाबीन तेल का दाम समीक्षाधीन सप्ताह में घटकर 993 डॉलर टन रहा जबकि इससे पिछले सप्ताह में यह 1,010-1,015 डॉलर प्रति टन था।
लेकिन पिछले सप्ताह जिस सीपीओ का भाव 993-995 डॉलर प्रति टन था वह बढ़कर लगभग 1,000 डॉलर प्रति टन हो गया। यानी सॉफ्ट आयल (सोयाबीन तेल), पामोलीन (हार्ड आयल) के मुकाबले सस्ता हो चला है तो क्या उपभोक्ताओं को देश के बाजारों में सोयाबीन तेल, पामोलीन से सस्ता मिल रहा है?
सूत्रों ने कहा कि पहले बोने की वजह से सांगली मंडी में खरीफ सोयाबीन पहले आ जाती है। बाकी स्थानों पर अक्टूबर में आवक बढ़नी शुरु होती है। सांगली मंडी में आने वाली नयी फसल का भाव 4,000 रुपये क्विन्टल लगाया जा रहा है जबकि सोयाबीन का नया न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,892 रुपये क्विंटल है।
इसके अलावा केवल महाराष्ट्र सरकार ने किसानों को सोयाबीन और कपास का उत्पादन बढ़ाने को प्रोत्साहित करने के मकसद से प्रति एकड़ फसल के लिए 5,000 रुपये की सहायता राशि (सब्सिडी) दी है। लेकिन इस प्रोत्साहन राशि के बावजूद किसानों की लागत कम निकल रही है। इसकी तुलना में मध्य प्रदेश में सोयाबीन का उत्पादन कहीं अधिक होता है और वहां ऐसी कोई सहायता राशि नहीं दी गई है तो उनकी लागत वसूली तथ अन्य सोयाबीन उत्पादन राज्यों में लागत वसूली की स्थिति के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में मंडियों में सोयाबीन के नये फसल की आवक और बढ़ेगी उस समय क्या होगा इसके बारे में अभी से कुछ कहना मुश्किल है। लेकिन इतना तो तय है कि सस्ता सोयाबीन का आयात बना रहा तो पहले के सोयाबीन फसल की तरह इस बार भी सोयाबीन को गोदामों में ही रखे रहना होगा। सूत्रों ने कहा कि किसी को इस स्थिति के बारे में सोचना होगा और कोई रास्ता भी निकालना होगा कि देशी तेल तिलहन खपें, किसानों को पर्याप्त धन मिले और तिलहन उत्पादन बढ़ाने के प्रति उनका भरोसा और मजबूत हो।
उन्होंने कहा कि सहकारी संस्था- नाफेड अलग अलग राज्यों में तेल मात्रा की प्रतिशत के हिसाब से सरसों तिलहन की बिक्री 5,150 से 5,550 रुपये प्रति क्विंटल के भाव कर रही है। हालांकि सरसों के नये एमएसपी के हिसाब से सरसों के दोनों भाव एमएसपी से कम ही हैं। इसके अलावा प्रति क्विंटल सरसों के लिए लगभग 150 रुपये का वारदाना मुफ्त दिया जा रहा है। कुल मिलाकर मौजूदा बिक्री भाव एमएसपी से कम बैठता है। इस ओर ध्यान देने की जरुरत है।
सूत्रों ने कहा कि कपास से निकलने वाले बिनौला खल का हाजिर भाव जब 4,000 रुपये क्विंटल है तो ना जाने कहां से एनसीडीईएक्स के वायदा कारोबार में बिनौला खल के अगस्त अनुबंध का भाव 2,970 रुपये क्विंटल बोला जा रहा है। इस खल की जांच होनी चाहिये कि यह कैसे संभव है। बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 50 रुपये घटकर 5,925-5,965 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 50 रुपये घटकर 11,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 15-15 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 1,875-1,975 रुपये और 1,875-2,000 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 150-160 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,300-4,330 रुपये प्रति क्विंटल और 4,110-4,235 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसी प्रकार सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 125 रुपये, 150 रुपये और 200 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 10,100 रुपये, 9,775 रुपये तथा 8,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट देखी गई। मूंगफली तिलहन 100 रुपये की गिरावट के साथ 6,425-6,700 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात 300 रुपये की गिरावट के साथ 15,350 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव 45 रुपये की गिरावट के साथ 2,290-2,590 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ। कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 50 रुपये की गिरावट के साथ 8,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 75 रुपये की गिरावट के साथ 9,925 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 25 रुपये की गिरावट के साथ 9,025 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सूत्रों ने कहा कि बिनौला तेल में कारोबार नहीं के बराबर है पर कुछ त्योहारी मांग की वजह से भाव ऊंचा बोले जाने की वजह से यह 50 रुपये के सुधार के साथ 9,575 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।