NEET PG सेंटर पिछले साल से आधे, दो शिफ्ट में कंप्यूटर बेस्ड होगी कल परीक्षा

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नई दिल्ली। NEET PG 2024: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाले नैशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (मेडिकल साइंसेस) ने NEET PG 2024 की 11 अगस्त को होने वाली परीक्षा की तैयारी पूरी कर ली है। छात्रों को एडमिट कार्ड जारी किए गए हैं।

इस परीक्षा को लेकर कई बड़े बदलाव किए गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा का कहना है कि परीक्षा कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट यानी सीबीटी मोड में होगी। 2017 से यह एग्जाम सिंगल शिफ्ट में हो रहा था, लेकिन इस बार दो शिफ्ट में होगी।

सेंटर को लेकर उन्होंने कहा कि ज्यादातर छात्रों को उनके आवेदन पत्र में दिए गए पते के आधार पर उन शहरों में ही सेंटर अलॉट किए गए हैं। इस बार सेंटर पिछले वर्ष की तुलना में आधे हैं। जिन सेंटरों को लेकर थोड़ा भी संशय था, उन्हें नहीं चुना गया है।

नैशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (मेडिकल साइंसेस) के प्रेजिडेंट डॉ. अभिजात सेठ का कहना है कि इस बार करीब 500 सेंटर चुने गए हैं। सेंटर चुनने का आधार विश्वनीयता तो ही है, साथ ही यह भी देखा गया है कि वहां किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। पिछले वर्ष 1200 सेंटर थे लेकिन इस बार कई प्राइवेट वेंडर्स को नहीं चुना गया है। करीब 2.28 लाख छात्रों के परीक्षा में शामिल होने की उम्मीद है। इनमें से आधे छात्र पहली शिफ्ट में और आधे दूसरी शिफ्ट में शामिल होंगे।

पहले यह परीक्षा 23 जून 2024 को होनी थी। लेकिन एक दिन पहले बोर्ड ने इसे स्थगित करने का फैसला लिया था। डिजिटली जनरेट होने वाला नीट पीजी 2024 क्वेश्चन पेपर पूरी तरह से सेफ हो, इसे लेकर बोर्ड काफी गंभीर है। एग्जाम वाले दिन की सुबह ही पेपर जनरेट किया जाएगा।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को फिर दोहराया कि अभी NEET-PG का क्वेश्चन पेपर तैयार नहीं किया गया है और ऐसे में छात्रों को किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए। बोर्ड ने पब्लिक नोटिस जारी कर कहा है कि कुछ लोग सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म के जरिए छात्रों को धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं। छात्रों को इससे बचकर रहना चाहिए। वे किसी भी धोखेबाज को पैसे न दें।

नीट पीजी में नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया क्यों?
NEET PG में इस बार नॉर्मलाइजेशन (Normalization) प्रक्रिया अपनाई जाएगी। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस बार दो शिफ्टों में एग्जाम हो रहा है। ‘नॉर्मलाइजेशन’ के जरिए यह अनुमान लगाया जाता है दो शिफ्टों में हुई परीक्षा में किस शिफ्ट में पेपर कितना आसान या मुश्किल है। इसके अनुसार ही मार्क्स तय किए जाते हैं।

अगर एक शिफ्ट में छात्रों का औसतन स्कोर 100 में 95 है और दूसरी शिफ्ट में 85 है, और पाया जाता है कि दूसरी शिफ्ट का पेपर कुछ मुश्किल था। तो नॉर्मलाइजेशन स्कोर फॉर्मूले के तहत दोनों शिफ्ट के छात्रों का स्कोर तय किया जाता है। इससे दूसरी शिफ्ट के स्टूडेंट्स का औसत स्कोर बढ़ जाता है और पहली शिफ्ट के स्टूडेंट्स से औसत स्कोर का उनका गैप कम हो जाता है।