गांधी जी की ग्राम स्वराज की अवधारणा के बिना आजादी अधूरी: दशरथ कुमार

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राष्ट्रीय किसान समन्वय समूह का चिंतन शिविर आयोजित

कोटा। हाडोती किसान यूनियन के महामंत्री दशरथ कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी ने ग्राम स्वराज की अवधारणा को सत्य और अहिंसा का आधार बनाया था। इसके बिना आजादी को अधूरी बताया था। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ग्राम स्वराज बहुत आवश्यक है।

कोटा में राष्ट्रीय किसान समन्वय समूह के चिंतन शिविर में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, बिहार ,उड़ीसा ,महाराष्ट्र ,तेलंगाना के 40 से अधिक किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने देश में मौजूद पंचायत राज व्यवस्था लूट की व्यवस्था बताया और कहा कि राजनीतिक दल समाज को विभाजित करने का काम कर रहे हैं। बहुमत से संसद चल सकती है देश नहीं। देश का मालिक गांव में बैठता है। अतः ग्राम स्तर पर संबंधित विकास की व्यवस्था को कायम करना पड़ेगा और इसी से देश की मूल समस्याओं का समाधान संभव है।

बिहार से आए गांधीवादी चिंतक डॉक्टर बृजेश शर्मा ने कहा कि शहरीकरण में करोड़ों लोगों को एक जगह बसाया जाएगा तो कोई स्वस्थ नहीं रह सकता। बसावट सिर्फ इतनी होनी चाहिए कि लोग पैदल चलकर अपने काम के स्थल पर पहुंच सके। ग्राम स्वराज पर चर्चा करते हुए डा. शर्मा ने कहा कि चाणक्य ने पाटलिपुत्र में अहिंसक तरीके से ग्राम स्वराज की अवधारणा को अपने परम शिष्य चंद्रगुप्त के माध्यम से बनाया था। ग्राम स्वराज लोकतंत्र में जन भागीदारी की व्यवस्था है जो सर्वानुमति से चलती है।

अध्यक्षता भोपाल के कृषि चिंतक इरफान जाफरी ने की। कर्नाटक के दयानंद चंद्रशेखर पाटिल ने 26 सूत्रीय चिंतन शिविर के एजेंट को सदन में पटल पर विश्लेषण के लिए रखा गया। सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में गायत्री परिवार के मुख्य ट्रस्टी जीडी पटेल, शिमला से आए हरीश चौहान ने भी खेती-किसानी एवं ग्राम स्वराज पर अपने विचार व्यक्त किए।

हरियाणा से आए किसान नेता डीके शर्मा ने राजनेताओं और नौकरशाह के लिए कहा कि ये किसानों की समस्या को अनदेखी करते हैं। पंजाब में किसान आंदोलन के नेता परमजीत सिंह ने कहा कि किसानों के हितों की अनदेखी वर्तमान सरकार से पहले भी हुई और अभी भी हो रही है। बजट में 2.75 प्रतिशत खेती की किसानों के लिए दिया है। इससे समझ सकते हैं कि खेती और किसानी को बहुत कम महत्व मिल रहा है। उन्होंने किसानों से एकजुट रहने का आह्वान किया।

बारां (राजस्थान) के युवा किसान नेता और परवन सिंचाई परियोजना के आंदोलन के सूत्रधार पवन यादव ने लंबित पड़ी सिंचाई परियोजनाओं को क्रियान्वित करने पर जोर दिया। किसानों को इस बात पर विचार करना चाहिए कि उनके बच्चे गांव छोड़कर शहर क्यों जा रहे हैं?

गांव को आधुनिकता की और घसीटा जा रहा है। जल, जंगल और जलवायु परिवर्तन आज चिंता का विषय है। केशवरावपाटन(बूंदी) के अरविंद भूतिया, चंबल संसद के बृजेश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय युवा संगठन के जगदीश कुमार, ग्राम स्वराज की अवधारणा पर आयोजित मंथन शिविर में अपने विचार रखें।