Soybean sowing: सोयाबीन का रकबा बढ़कर 108 लाख हेक्टेयर के पार

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नई दिल्ली। Soybean sowing area: आमतौर पर चालू खरीफ सीजन के दौरान सोयाबीन के उत्पादन क्षेत्र में 5-10 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका व्यक्त की जा रही थी क्योंकि इसका घरेलू बाजार भाव घटकर सरकारी समर्थन मूल्य से नीचे आ गया है और विदेशों से सस्ते सोया तेल का विशाल आयात होने से क्रशिंग-प्रोसेसिंग उद्योग को समुचित लाभ हासिल नहीं हो रहा है बल्कि उसे असमान चुनौती एवं प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।

विश्लेषकों को लग रहा था कि किसान इस बार सोयाबीन के बजाए दलहनों एवं मक्का की खेती पर ज्यादा जोर देंगे। दिलचस्प तथ्य यह है कि दलहनों (तुवर-उड़द) एवं मक्का के उत्पादन क्षेत्र में भी अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन साथ ही साथ सोयाबीन का क्षेत्रफल भी तेजी से बढ़ा है।

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में 15 जुलाई तक राष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र उछलकर 108.10 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो वर्ष 2023 की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 82.44 लाख हेक्टेयर से 25.66 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।

इससे पूर्व वर्ष 2022 में 99.35 लाख हेक्टेयर तथा 2021 में 90.32 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बिजाई हुई थी। ध्यान देने की बात है कि वर्ष 2023 के सम्पूर्ण सीजन के दौरान सोयाबीन का कुल उत्पादन क्षेत्र 124.12 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा था जबकि इस बार 15 जुलाई तक क्षेत्रफल 108.10 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।

गत वर्ष की तुलना में इसका कुल रकबा अभी 16 लाख हेक्टेयर पीछे है मगर कुछ प्रांतों में इसकी बिजाई जारी है। इसे देखते हुए कनाडा है कि कुल रकबा गत वर्ष के आसपास पहुंच सकता है। कहीं-कहीं इसकी दोबारा बिजाई की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

केन्द्र सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2023-24 सीजन के 4600 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2024-25 सीजन के लिए 4892 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। इससे किसानों का उत्साह कुछ बढ़ा है। सोयामील का निर्यात प्रदर्शन बेहतर चल रहा है।

देश में सोयाबीन के चार शीर्ष उत्पादक प्रान्त में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान एवं कर्नाटक शामिल है। इसके अलावा गुजरात, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ एवं आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में भी इसका उत्पादन होता है।