मुम्बई। घरेलू प्रभाग में कच्चे काजू का उत्पादन घटने तथा विदेशों में भाव बढ़ने से आयात महंगा होने के कारण आगामी महीनों और खासकर त्यौहारी सीजन के दौरान प्रसंस्कृत काजू का दाम ऊंचा एवं तेज रहने की उम्मीद है।
अल नीनो मौसम चक्र के कारण कुछ उत्पादक देशों में काजू की फसल प्रभावित हुई और इसका उत्पादन घट गया। कच्चे काजू का दाम अप्रैल-मई में 1200-1800 डॉलर प्रति टन चल रहा था जो अब उछलकर 1900/2000 डॉलर प्रति टन हो सकता है। इसके अनुरूप प्रोसेस्ड काजू की कीमतों में भी बढ़ोत्तरी हुई है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार भारत में काजू में त्यौहारी मांग जुलाई के अंतिम दिनों से ही आरंभ हो जाती है। देश में काजू की मांग एवं खपत में प्रतिवर्ष औसतन 7 प्रतिशत की दर से बढ़ोत्तरी हो रही है।
वर्तमान समय में भारत काजू का एक अग्रणी उत्पादक एवं सबसे बड़ा खपतकर्ता देश बना हुआ है। एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी भारत में काजू सहित अन्य सूखे मेवों की मांग एवं खपत बढ़ाने के लिए एक अभियान चला रहा है।
भारत में काजू बाजार का आकार वर्ष 2024 में 2.40 अरब डॉलर का आंका जा रहा है जबकि वर्ष 2029 तक यह फैलकर 2.90 अरब डॉलर पर पहुंच जाने का अनुमान है। दुनिया में प्रोसेस्ड काजू की सबसे ज्यादा खपत भारत में ही होती है।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार चालू वर्ष के दौरान देश के सभी उत्पादक क्षेत्रों में कच्चे काजू (आरसीएन) का उत्पादन घटा है और दुनिया के कई प्रमुख उत्पादक देशों में भी उत्पादन में करीब 25 प्रतिशत की गिरावट आई है जिसमे वियतनाम तथा अफ्रीकी देश शामिल हैं।
इसे देखते हुए आगामी महीनों में काजू का दाम और भी तेज होने की उम्मीद है। उद्योग समीक्षकों के अनुसार मार्च 2025 में नई फसल की जोरदार आवक शुरू होने से पूर्व प्रोसेस्ड काजू का घरेलू बाजार भाव काफी ऊंचे स्तर पर बरकरार रहेगा।
विभिन्न देशों में प्रतिकूल मौसम को देखते हुए इंटरनेशनल नट एंड ड्राइड फ्रूट कौंसिल (आईएनसी) ने काजू के वैश्विक उत्पादन में 2023 के मुकाबले 2024 के सीजन में 7 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान लगाया है।
कमजोर उत्पादन के कारण एक अफ्रीकी देश- आइवरी कोस्ट ने कच्चे काजू के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था जिससे वैश्विक बाजार भाव तेज हो गया। बाद में प्रतिबंध तो हटा लिया गया मगर बाजार में कच्चे काजू का अभाव बरकरार रहा। जुलाई के आरंभ में भारत के डब्ल्यू 320 ग्रेड के प्रोसेस्ड काजू का निर्यात ऑफर मूल्य 6.60-6.90 डॉलर प्रति किलो के बीच चल रहा था।