उत्पादन कम होने से अरहर और इसकी दाल महंगी, रिटेल भाव 200 रुपये किलो के पार

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नई दिल्ली। अरहर (Tuar) के भाव इस साल भी कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। पिछले साल की दूसरी छमाही से अरहर की कीमतों में आई तेजी इस साल भी जारी है। इस साल अरहर के थोक भाव 12,000 रुपये क्विंटल को पार कर चुके हैं। इस महीने भी मंडियों में अरहर के दाम बढ़े हैं। अरहर के थोक भाव बढ़ने से खुदरा बाजार में अरहर दाल की खुदरा कीमत 200 रुपये किलो पार कर चुकी है।

देश की मंडियों में इस महीने अरहर की कीमतों में तेजी देखने को मिली है। महाराष्ट्र स्थित अरहर की प्रमुख मंडी अकोला में एक अप्रैल को अरहर के थोक भाव 10,700 से 10,850 रुपये थे, जो अब बढ़कर 12,000 से 12,200 रुपये क्विंटल हो गए हैं।

इस दौरान इसी मंडी में अरहर दाल के थोक भाव 14,400-15,400 रुपये से बढ़कर 16,100-17,300 रुपये क्विंटल हो गए हैं। दिल्ली की मंडी में इस अवधि में अरहर दाल के थोक भाव 1,300 रुपये बढ़कर 16,500-16,600 रुपये क्विंटल हो चुके हैं।

मंडियों में अरहर की कीमतों में आ रही तेजी का असर इसके खुदरा बाजार में भाव पर भी दिख रहा है। केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में अरहर दाल की औसत खुदरा कीमत इस महीने 157 रुपये से बढ़कर 170 रुपये, महाराष्ट्र में 159.74 रुपये से बढ़कर 167.63 रुपये, मध्य प्रदेश में 150.46 रुपये से बढ़कर 157.02 रुपये और उत्तर प्रदेश में 143.92 रुपये से बढ़कर 147.56 रुपये किलो गई है। देश भर में अरहर की औसत खुदरा कीमत इस महीने 149.23 रुपये से बढ़कर 152.73 रुपये हो गई है और इसकी अधिकतम खुदरा कीमत 203 रुपये किलो है।

इस साल क्यों महंगी हो रही अरहर दाल

  • कमोडिटी विश्लेषकों के अनुसार सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद अरहर दाल के दाम बढ़ रहे हैं। एक कमोडिटी विश्लेषक ने बताया कि अरहर की आपूर्ति कमजोर है क्योंकि अरहर का उत्पादन कम हुआ है। इसलिए अरहर दाल महंगी हुई है।
  • कमोडिटी विश्लेषक इंद्रजीत पॉल ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में अरहर दाल के आयात में करीब 10 फीसदी कमी आई है। उत्पादन घटने से देश में अरहर की उपलब्धता कम है। लिहाजा अरहर के दाम बढ़ रहे हैं। जानकारों के मुताबिक अरहर की आवक कम होने से भी इसकी कीमतों में तेजी को बल मिला है।
  • एगमार्कनेट से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस महीने करीब 75 हजार टन अरहर की आवक हुई, जबकि पिछले साल इसी महीने यह आंकड़ा करीब 92 हजार टन था। जाहिर पिछले साल की तुलना में इस अप्रैल अरहर की आवक में करीब 18 फीसदी कमी दर्ज की गई है।