दीपदान, आतिशबाजी से जगमग हुई संध्या, शंख ध्वनि के साथ हुई महाआरती
कोटा। किशोर सागर तालाब की पाल स्थित सेवन वंडर पार्क सोमवार को चिरंतन, पुरातन सनातन संस्कृति का गवाह बना। सामाजिक संस्कृति से ओतप्रोत सनातनियों का ऐसा मेला लगा कि सेवन वंडर पार्क पर पैर रखने की भी जगह नहीं बची।
नवसंवत्सर समारोह आयोजन समिति के तत्वावधान में नवसंवत्सर 2081 और युगाब्द 5126 के स्वागत में शहर भर में तीन दिवसीय विविध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। जिसके तहत एक के बाद कार्यक्रमों की ऐसी श्रृंखला चली कि हर कोई ठहर सा गया। नूतन वर्ष की पूर्व संध्या पर दीप सजाने के लिए सामाजिक संस्थाएं जुट गई थीं। महिला पुरुष रंगोली सजाकर हिंदू नववर्ष की स्वागत में पलक पांवड़े बिछाते नजर आए।
मुख्य मंच पर बैंड वादन प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमें रामधुन समेत बैंड की अलग अलग विधाओं से मधुर स्वर लहरियां बिखेरकर श्रौताओं को आनंदित कर दिया। इसके बाद कथक नृत्य में द्रौपदी चीर हरण के दृश्य को जीवंत करते हुए भारत में नारी के महत्व को प्रतिपादित किया।
हरिहर बाबा का भवई नृत्य, मोर नृत्य समेत राधा कृष्ण की झांकी के साथ अलग अलग कार्यक्रम आयोजित हुए। इस दौरान सरस्वती वंदना, शहनाई वादन, तबला वादन, कच्ची घोड़ी नृत्य, तेजाजी गायन, भपंग वादन, सितार वादन, मोनो एक्टिंग समेत कईं कार्यक्रम भी अलग अलग मंचों पर हो रहे थे। तबले पर मंगल ध्वनि और बांसुरी गिटार पर जोरदार संगत ने ताली बजाने पर मजबूर कर दिया।
तलाव की पाल पर तीन दर्जन से अधिक समाजों ने स्वादिष्ट व्यंजनों की स्टाल लगाई थी। जहां ऊंच, नीच, जाति, पंथ का भेद भुलाकर हर कोई आनंद उठाता नजर आ रहा था। हस्तशिल्प और स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित उत्पादों की बिक्री के लिए लगी स्टाल पर भी लोगों की भीड़ रही। मेले में स्वदेशी वस्तुओं की बिक्री के लिए लगाई जाने वाली स्टॉल पर साहित्य बिक्री, ऐतिहासिक और सनातन से जुड़ी पुस्तकें उपलब्ध थीं।
दही हांडी फोड प्रतियोगिता में युवकों ने साहस का परिचय दिया। वहीं व्यायामशाला के खिलाड़ी मलखंभ पर पारंपरिक कला का प्रर्दशन करने लगे तो हर किसी ने दांतों तले अंगुली दबा ली। मेले में सेल्फी प्वाइंट, झूले और ऊंटगाड़ी समेत मनोरंजन के भी सभी साधन उपलब्ध थे। सनातन संस्कृति को प्रकट करते भव्य यज्ञ वेदी में आहुतियां भी दी गई।
रंगोली प्रतियोगिता और महापुरुषों की झांकी प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। भारतीय वेशभूषा प्रतियोगिता में देशभर की सांस्कृतिक विरासत का प्रकटीकरण हो रहा था।
दो लाख दीपक से रोशन हुई शाम
शाम को दो लाख से अधिक दीपक प्रज्ज्वलित कर नववर्ष की पूर्व संध्या को आलोकित किया गया। विभिन्न संस्थाओं ने पाल पर सजाए दीपक को जब आलोकित किया तो पूरा तट रोशनी से सराबोर हो गया। साधु संन्तों ने शंखध्वनि के साथ भारत माता की आरती की तो सनातनियों ने मोबाइल की टॉर्च जलाकर और हाथों में दीपक उठाकर साथ दिया। इस दौरान भारत माता के जयकारों से आसमान गूंज उठा। भव्य आतिशबाजी कर नवसम्वत का अभिनन्दन किया गया। दीपदान में 200 से अधिक स्वयंसेवी, सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं का योगदान रहा।
आज सजेंगे चौराहे
प्रचार प्रसार समिति के संयोजक आशीष मेहता ने बताया कि नववर्ष पर मंगलवार को शहर भर में प्रत्येक घर में पत्रक भेजकर नववर्ष की शुभकामना दी जाएगी। शहर के 51 चौराहों को सजाया जाएगा और राहगीरों को नीम और मिश्री का प्रसाद वितरित किया जाएगा। शहर में सवा लाख घरों और और 500 मंदिरों पर पताकाएं बदली जाएंगी। इस दिन शहर भर के प्रमुख मंदिरों पर भव्य महाआरती का आयोजन होगा।