-कृष्ण बलदेव हाडा-
Lok Sabha Election 2024: राजस्थान के शेखावाटी संभाग के जाट मतदाताओं में सेंध लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को चूरू में पैरा एथलेटिक रहे भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी देवेन्द्र झांझड़िया के समर्थक में जनसभा को संबोधित किया।
इस जनसभा के आयोजन से पहले जाटों के अलावा महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने यह भरपूर प्रचारित किया था कि चूरू में आयोजित होने वाली इस जनसभा में उस मंच को संभालने की सारी जिम्मेदारियां महिलाओं की ही होगी जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना उद्बोधन देंगे।
लेकिन एक बड़ी चूक यह रह गई कि महिलाओं की बागड़ोर वाले इस मंच से प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सबसे बड़ी और सबसे अधिक जनाधार वाली वाली महिला नेता श्रीमती वसुंधरा राजे ही नदारद थी, जो दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और शेखावाटी अंचल के जिन जाट मतदाताओं को साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी सभा का आयोजन किया गया है,उसी जाट समाज के एक पूर्व राजपरिवार से वे ताल्लुक़ रखती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा में श्रीमती वसुंधरा राजे की अनुपस्थिति की सियासी मायने भी हो सकते हैं कि उन्हें जानबूझकर इस आमसभा में आमंत्रित ही नहीं किया गया हो। क्योंकि प्रधानमंत्री के नई दिल्ली में सफदरजंग एयरपोर्ट से 10:35 बजे रवानगी से लेकर 11.50 मिनट चूरू के हैलीपेड़ पहुंचने और दोपहर 12 बजे चूरू पुलिस लाइन मैदान में आयोजित जनसभा को संबोधित करने तक के कार्यक्रम में श्रीमती वसुंधरा राजे की उपस्थिति का कहीं जिक्र तक नहीं है।
इसके पहले भी आधिकारिक तौर पर जो जानकारी दी गई थी, उसमें यहीं बताया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चूरू में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी देवेंद्र झाझरिया के समर्थन में रैली को संबोधित करने आएंगे और इस जनसभा में प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, कलस्टर प्रभारी सतीश पूनिया, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र सिंह राठौड़ और कुछ स्थानीय नेता मौजूद रहेंगे।
उपस्थित नेताओं की सूची में श्रीमती वसुंधरा राजे का नाम नदारद है। असल में विधानसभा चुनाव के बाद उनके हाथों पर्ची थमा कर भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने के बाद से ही श्रीमती वसुंधरा राजे की उपेक्षा हो रही है, तो उन्होंने भी स्टार प्रचारक होते हुए भी लोकसभा चुनाव से अब तक किनारा सा कर रखा है। जोधपुर में गृह मंत्री अमित शाह के चुनावी कार्यक्रम से भी वे दूर ही रही।
बहरहाल चूरू के पूरे प्रकरण का सियासी पहलू यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में चूरू जिले की तारानगर सीट से राजेंद्र सिंह राठौड़ भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे और उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। वह भी तब जब वे अपने आप को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश कर रहे थे।
राजेंद्र सिंह राठौड़ ने हार के बाद खुलकर आरोप लगाया था कि उनकी इस हार में सबसे बड़ा योगदान चूरू के भाजपा सांसद राहुल कस्वां का है। गौरतलब है कि राहुल कस्वा श्रीमती वसुंधरा राजे का नजदीक माना जाता है। विधानसभा चुनाव के बाद आरोप-प्रत्यारोप के बीच इस बार भारतीय जनता पार्टी में दो बार के सांसद राहुल कस्वां का लोकसभा से टिकट काट दिया और उनके स्थान पर पैरा ओलंपियन देवेंद्र झाझड़िया को अपना प्रत्याशी बनाया तो राहुल कस्वां ने भी भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया।
मौके का फायदा उठाते हुए कांग्रेस ने भी इस जाट बाहुल्य वाली सीट से राहुल कस्वां को अपना प्रत्याशी घोषित कर विधानसभा चुनाव के बाद इस बार भारतीय जनता पार्टी के लिए कड़ी चुनौती के हालात पैदा कर दिए हैं। अब हालत यह है कि राहुल कस्वां भले ही चूरू में भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता रहे हो और लगातार यहां से दो बार सांसद भी चुने गए हो लेकिन इस बार संसदीय क्षेत्र में बयार उल्टी बह रही है।
संसदीय इलाके में माहौल भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ बह रही है लेकिन राहुल कस्वां के लिए संतोष की बात यह है कि वे यहां से सांसदी के लिए चुनाव तो लड़ रहे हैं लेकिन अब वे भारतीय जनता पार्टी में नहीं है और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। राहुल कस्वां ने यहां से लगातार दो बार लोकसभा का चुनाव जीता।
साल 2014 में राहुल तस्वीर ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के अभिनेष महर्षि को 2.94 लाख से भी अधिक मतों के अंतर से हराया तो वर्ष 2019 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के रफ़ीक मंड़लिया को 3 लाख 34 हजार 402 मतों के अंतर से हराकर बड़ी जोरदार तरीके से जीत दर्ज की लेकिन इस बार गंगा उल्टी बह रही है। चुनावी माहौल सत्ता विरोधी बह रहा है। राहुल अभी सत्ता पक्ष के साथ नहीं है जिसका लाभ उन्हें मिल सकता है।
शेखावाटी अंचल के तीनों जिलों चूरू, झुंझुनूं और सीकर में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया था। सीकर सीट कांग्रेस ने इस बार गठबंधन के तहत माकपा को दी है जहां से अमरा राम चुनाव मैदान में हैं। झुंझुनूं में भी कांग्रेस इस बार क़ड़े मुकाबले में दिखाई दे रही है।
विधानसभा चुनाव के हिसाब से तीनों सीटों पर कांग्रेस को बढ़त है। हालांकि, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव अलग-अलग मुद्दों पर लड़ा जाता है। चूरू की तारानगर से नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ का हार का सामना करना पड़ा था। जबकि सीकर में कांग्रेस को भारी जीत मिली थी।