मुकुंदरा को आबाद करो; शावकों को आजाद करो, पर्यावरण प्रेमी संगठनों ने लगाई गुहार

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इसी संदेश के साथ बुधवार को कोटा में वन्य जीव एवं पर्यावरण प्रेमी संगठनों ने उप वन संरक्षक (वन्यजीव) कार्यालय के बाहर दिन भर धरना दिया और वन विभाग के अधिकारियों को याद दिलाने की कोशिश की कि बायोलॉजिकल पार्क में एक वर्ष से भी अधिक समय से बंधक शावक अब परिपक्व हो चले हैं और उन्हें विचरण के लिए उन्मुक्त आकाश तले स्वछंद माहौल और खुली शिकारगाह की जरूरत है। यदि इन शावकों को प्रकृति की गोद में स्वछंद विचरण के साथ उन्मुक्त माहौल मिला तो जल्दी ही ये कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों को आबादी बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएंगे।

-कृष्ण बलदेव हाडा –
कोटा।
कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों को आबाद करने में बरती जा रही ढिलाई पर कोटा के प्रमुख वन्य जीव एवं पर्यावरण प्रेमी संगठनों ने गहरा क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा, पारिस्थितिकी संतुलन में सुधार लाने और इसी के साथ कोटा में ‘वाइल्ड लाइफ टूरिज्म’ का विकास कर युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए इस टाइगर रिजर्व में बाघों को बसाने में गंभीरता से प्रयास करके तेजी लाने की आवश्यकता है।

कोटा के विभिन्न वन्यजीव एवं पर्यावरण संगठनों पगमार्क फाउंडेशन, सोसाइटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ हिस्टोरिकल एंड इकोलॉजिकल रिसोर्सेज, चंबल रेस्क्यू फोर्स, बाघ-चीता मित्र, चंबल संसद, जल बिरादरी और अन्य सहयोगी संस्थाओं की ओर से बुधवार को नयापुरा स्थित चिड़ियाघर के उप वन संरक्षक (वन्यजीव) कार्यालय के बाहर अपनी मांगों को लेकर धरना देने के बाद मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को प्रेक्षित एक ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में कहा गया है कि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों को बसाने की शुरुआती प्रक्रिया के रूप में कोटा स्थित अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में एक वर्ष से भी अधिक समय से बंधक के रूप में रखे गए बाघ शावकों को तुरंत प्रभाव से दरा स्थित टाइगर एन्क्लोज़र में मुक्त किया जाना चाहिए जिससे वन्यजीव के रूप में इनकी प्राकृतिक बनी रहें।

वर्तमान में नर का वजन लगभग 150 किग्रा एवं मादा का वजन लगभग 120 किग्रा है एवं ये अवयस्क बाघ-बाघिन बन चुके है l निश्चित ही ये शावक आने वाले वर्षों में मुकंदरा को आबाद करने में सहायक हो सके।

कोटा के वन एवं वन्यजीव,पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि किसी भी संरक्षित बाघ वन क्षेत्र के लिए बाघ-बाघिन का जो लिंगानुपात होना चाहिए,उसे विचाराधीन रखते हुए पूर्व में ही तय किए जा चुके सैद्धांतिक अनुबंध के अनुसार मुकंदरा में जल्दी से जल्दी और बाघ-बाघिन लाने की प्रकिया में तेजी लानी चाहिए।

उनका यह भी कहना है कि यह गौरतलब है कि मुकंदरा से निरंतर बाघ एवं बाघिन का वन क्षेत्र से बाहर विचरण होता रहता है, जो विचारणीय बिंदु है। यद्यपि विभाग की ओर से बाघों की पर्याप्त निगरानी की जा रही है किन्तु इस प्रकार वन्यजीव का अपने प्राकृतिक आवास के बाहर विचरण करना किसी आपदा को निमंत्रित करने से कम नहीं है क्योंकि यह उनके जीवन के लिए घातक भी हो सकता है इसलिए विभाग को इस पक्ष पर विचार करते हुए सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

पर्यावरण प्रेमियों ने आग्रह किया है कि बाघों के साथ अन्य मांसाहारी वन्य जीवों की आवश्यकतानुसार मुकंदरा में प्रे-बेस बढाने चाहिये। यद्यपि विभाग ने पूर्व में भी केवलादेव सहित अन्य स्थानों से लाकर चीतल छोड़े थे किन्तु वर्तमान में यह प्रक्रिया पूर्णत: रुकी हुई है अत: विभाग को इसके लिए शीघ्र कदम उठाने चाहिए। इसमें वर्तमान में यहां मौजूद शाकाहारियों वन्यजीवों को ओर बढ़ाकर पर्याप्त संख्या के स्तर तक लाने के लिए प्रयास किये जाने चाहिए।

इसके अलावा वन्यजीव एवं पर्यावरण प्रेमियों ने मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के जरिए राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटकों के भ्रमण के लिए नए रूट खोलें चाहिए जिससे ना केवल विभाग को आमदनी होगी अपितु पर्यटकों के आने से वन क्षेत्र में होने वाले गैर-कानूनी कार्यों पर भी लगाम कसी जा सकेगी l

वन्यजीव एवं पर्यावरण प्रेमियों ने कहा कि वन्यजीव विभाग को स्थानीय विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के साथ एमओयू करना चाहिए जिससे जीव विज्ञान के विद्यार्थियों को शोध करने के नए अवसर प्राप्त हो जिनका उपयोग विभागीय प्रबंधन में भी किया जा सकता है।

विभाग एवं मुकंदरा के आस-पास उपस्थित ग्रामीणों के बीच संवाद एवं सौहार्द की बहुत कमी है, जिसके चलते मुकंदरा के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती अत: विभाग के आला अधिकारियों को निरंतर स्थानीय ग्रामीणों के बीच पहुचकर उनकी समस्याओं एवं उनके समाधान पर विचार-विमर्श करना चाहिए।

वन्यजीव विभाग ने विगत पांच वर्षों से स्थानीय वन्य जीव प्रेमियों एवं उनकी जंगल से जुडी हुई भावनाओ को दर-किनार करते हुए एक खाई सी बनाई हुई है जिसे पाटने की आवश्यकता है।

मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को चाहिए कि वे हाडोती के वन्य जीव प्रेमियों ने मुकंदरा के टाइगर रिज़र्व घोषित किये जाने से पहले से इस क्षेत्र को अपना अमूल्य समय देकर सींचा है और साथ इन्हें यहाँ की परिस्थितियों का बोध अपेक्षाकृत अधिक है। यही नहीं स्थानीय वन्य जीव प्रेमी मुकंदरा से गांवों के पुनर्विस्थापन, जनभागीदारी और जन-जागरूकता के क्षेत्र में विभाग के लिए अत्यंत सहायक हो सकते हैं।