मां पन्नाधाय जयंती पर उत्कृष्ट कार्य करने वाली 7 महिलाएं सम्मानित

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कोटा। Maa Pannadhay Samman: भारत विकास परिषद की मां पन्नाधाय शाखा द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर स्थापना दिवस व पंचम मां पन्नाधाय सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। मां पन्नाधाय की शाखा अध्यक्ष कविता शर्मा ने बताया कि मां पन्नाधाय 534वी जयंती पर वर्षभर उत्कृष्ट कार्य करने वाली 7 महिलाओं को माला, शॉल व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

सम्मान समारोह की मुख्य अतिथि न्यायालय, भू संपदा अधिकारी ममता तिवारी और विशिष्ट अतिथि एडवोकेट सोनल विजय थीं। जबकि अध्यक्षता भारत विकास परिषद की प्रांतीय सह सचिव सुनीता गोयल जोली ने की।

मुख्य अतिथि ममता तिवारी ने कहा कि मां पन्नाधाय बलिदान, त्याग, साहस, स्वाभिमान एवं स्वामिभक्ति की प्रतीक थी। उन्होंने अपने राजधर्म निभाने के लिए अपने पुत्र का बलिदान दे दिया। उनका त्याग इतिहास मे अमर है। उन्होंने इस अवसर पर सभी को मां पन्नाधाय से प्रेरणा लेकर अपने धर्म की रक्षा की बात कही।

अध्यक्ष कविता शर्मा ने स्वागत भाषण में कहा कि 8 मार्च को शाखा की स्थापना के साथ ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एवं मा पन्नाधाय की 534वीं जयंती मनाई जा रही है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा यह दिन महिलाओं की समर्पण, साहस, और समृद्धि के समर्थन में मनाया जाता है। 21वीं सदी की नारी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से उन्नत है, परन्तु जो महिलाएं अभी मुख्यधारा का हिस्सा नहीं है, हमें उन्हें आगे लाने के लिए कार्य करना चाहिए।

भारत विकास परिषद प्रांतीय सह सचिव व शाखा मुख्य संरक्षिका सुनीता गोयल जोली ने बताया कि प्रत्येक वर्ष शाखा द्वारा यह सम्मान समाज के विभिन्न क्षेत्रों में विपरीत परिस्थितियों में समाज के उत्थान के लिए कार्य कर रही महिलाओं को दिया जाता है। शाखा उपाध्यक्ष नम्रता शुक्ला ने बताया कि इस वर्ष यह सम्मान बृजबाला निर्भीक, सुधा शर्मा, मीना कंवर, संगीता जैन, ज्योति सुवालका, अनुराधा दुबे, इंदिरा गर्ग को दिया गया है।

कार्यक्रम संयोजिका वीना अग्रवाल एवं प्रीति विजय ने बताया कि कार्यक्रम में लीना शर्मा के नेतृत्व मे अंजली जायसवाल, शकुंतला शर्मा, रचना तोमर, शुभा शर्मा, चंचल शर्मा, भारती जैन, संजना पारेता द्वारा ग्रुप डांस प्रस्तुत किया गया। रजनी, ज्योति,ने कविता व रामायण पाठ की सुंदर प्रस्तुति दी, जिससे वातावरण राममय हो गया।