नई दिल्ली। Ram Mandir Website Hack: सारा देश जहां एक तरफ 22 जनवरी को राम लला के आगमन की तैयारी में जुटा हुआ था और जश्न की तैयारी कर रहा था। वहीं भारतीय सुरक्षा एजेंसियां और साइबर जासूस भारतीय वेबसाइटों को निशाना बनाने वाले साइबर हमलों के कारण व्यस्त थी।
ये हैकर्स राम मंदिर की वेबसाइट को हैक करने में लगे थे, जिसमें चीन और पाकिस्तान के हैकर्स शामिल थे। हालांकि सरकार को पहले से ही हमलों में वृद्धि का अनुमान था, इसलिए उन्होंने कदम उठाए। साइबर हमलों से निपटने और भीड़ को मैनेज करने के लिए स्वदेशी एआई और मशीन लर्निंग तकनीकी का उपयोग किया गया।
22 जनवरी को लगातार हो रहे थे अटैक
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि साइबर जासूसों सहित भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इस साल जनवरी में पूरी तैयारी कर ली थी। ये तैयारी खासकर 22 जनवरी के लिए की गई थी क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन होने वाला था।
रिपोर्ट में बताया गया कि जनवरी में राम मंदिर के उद्घाटन के समय, हैकर्स और साइबर अपराधी लगातार भारतीय वेबसाइटों को निशाना बना रहे थे, जिसमें मुख्य रूप से चीनी और पाकिस्तानी हैकर्स शामिल थे।
इन भारतीय वेबसाइट को बनाया गया निशाना
- अधिकारियों ने यह भी जानकारी दी कि राम मंदिर के अलावा पाकिस्तानी और चीनी हैकर्स ने प्रसार भारती और उत्तर प्रदेश (यूपी) में जरूरी इंफ्रास्टैक्चर से जुड़ी अन्य वेबसाइटों को बंद करने की कोशिश की।
- अब सवाल उठता है कि इस हमले को भारत सरकार ने कैसे रोका। इसके बारे में भी अधिकारियों ने जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि सरकार को उद्घाटन के दौरान साइबर हमलों में वृद्धि की आशंका थी।
कैसे रोके गए साइबर अटैक्स
- ऐसे में इस तरह के हमलों को रोकने के लिए टेलीकॉम सिक्योरिटी ऑपरेशन सेंटर (टीएसओसी) किसी भी साइबर हमले को रोकने के लिए राम मंदिर, प्रसार भारती, यूपी पुलिस, हवाई अड्डे, यूपी पर्यटन और पावर ग्रिड सहित लगभग 264 वेबसाइटों की निगरानी कर रहा था।
- आपको बता दें कि ये निगरानी चौबीसों घंटे चल रही थी। इस दौरान यह देखा गया कि लगभग 140 आईपी एड्रेस राम मंदिर और प्रसार भारती वेबसाइटों को लक्षित कर रहे थे।
- इन आईपी की पहचान के बाद एजेंसी ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को इनके एक्सेस को बंद करने के लिए कहा। इन आईपी एड्रेस को ब्लॉक करने के बाद भी यह देखा गया कि 21 जनवरी को इन देशों से दुर्भावनापूर्ण गतिविधियां बढ़ गईं । इसके बाद और आईपी एड्रेस ब्लॉक किए गए। आपको बता दें कि कुल 1244 आईपी एड्रेस को ब्लॉक करने के बाद हमले कम हुए।
- इसके साथ ही साइबर हमले से डिजिटल संपत्तियों को सुरक्षित रखने के अलावा, DoT ने डिजिटल डेटा का उपयोग करके भीड़ प्रबंधन का भी ध्यान रखा था।