बैंगलुरु। Chandrayaan-4: चंद्रयान-3 मिशन की ऐतिहासिक सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब अगले मून मिशन चंद्रयान-4 की तैयारी कर रहा है। चंद्रयान-4 अपने पहले के मिशन की तरह नहीं होगा। इस बार चंद्रयान-4 चांद पर जाएगा और वहां से धरती पर वापस भी आएगा।
दरअसल चंद्रयान-3 को एक ही स्टेज में लॉन्च किया गया था। लेकिन चंद्रयान-4 को दो स्टेज में लॉन्च किया जाएगा। दो अलग-अलग लॉन्च चंद्रयान-4 के व्हीकल को आगे बढ़ाएंगे जो न केवल चंद्रमा पर उतरेंगे बल्कि चंद्रमा की सतह से चट्टानों और मिट्टी (मून रेजोलिथ) को भी भारत वापस लाएंगे।
चंद्रयान-4 को पहले स्टेज में धरती से लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद यह चांद पर लैंड करेगा। चांद पर अपनी सभी टास्क पूरी करने के बाद इसे फिर धरती पर सैंपल पहुंचाने के लिए लॉन्च किया जाएगा। पहली बार लॉचिंग के वक्त चंद्रयान-4 का कुल वजन 5200 किलोग्राम होगा, जबकि चांद से जब ये धरती की ओर लॉच होगा तब इसका वजन 1527 किलोग्राम रखा जाएगा, ताकि ये आसानी से धरती के ऑर्बिट में दाखिल हो सके।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्रयान-4 मिशन में दो और अतिरिक्त कंपोनेंट होंगे जिन्हें चंद्रमा से नमूने वापस लाने और उन्हें पृथ्वी पर गिराने का काम सौंपा जाएगा। यानी चंद्रयान-4 अपने साथ पांच मॉड्यूल लेकर जाएगा। इसमें एसेंडर मॉड्यूल, डिसेंडर मॉड्यूल, प्रोपल्शन मॉड्यूल, ट्रांसफर मॉड्यूल और रीएंट्री मॉड्यूल होंगे। हर मॉड्यूल का अलग काम होगा। बता दें कि चंद्रयान-3 में तीन मुख्य कंपोनेंट शामिल थे, जिनमें – लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल था।
चंद्रयान-4 के पांच कंपोनेंट
प्रोपल्शन मॉड्यूल: ये चंद्रयान-3 की तरह ही होगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग होने से पहले चंद्रयान-4 को चंद्र कक्षा में मार्गदर्शन करेगा। रॉकेट से अलग होने के बाद धरती की ऑर्बिट से लेकर चांद की ऑर्बिट में एंट्री तक की जिम्मेदारी प्रोपल्शन मॉड्यूल की होगी।
डिसेंडर मॉड्यूल: यह मॉड्यूल चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की तरह ही चंद्रमा पर लैंडिंग करेगा।
एसेंडर मॉड्यूल: एक बार जब सभी सैंपल कलेक्ट हो जाएंगे तो फिर एसेंडर मॉड्यूल लैंडर से बाहर निकल जाएगा और पृथ्वी पर लौटना शुरू कर देगा। नमूने इकट्ठे करने के बाद यह चंद्रमा की सतह से उड़ान भरने और ट्रांसफर मॉड्यूल के साथ धरती की ऑर्बिट तक पहुंचाने का काम इसी मॉड्यूल का होगा।
ट्रांसफर मॉड्यूल: यह एसेंडर मॉड्यूल को पकड़ने और इसे चांद की कक्षा से बाहर निकालने के लिए जिम्मेदार होगा। चट्टान और मिट्टी के नमूनों के साथ कैप्सूल के अलग होने से पहले यह पृथ्वी पर वापस आ जाएगा।
री-एंट्री मॉड्यूल: यह चांद की मिट्टी ले जाने वाला कैप्सूल होगा। चांद के नमूनों को धरती पर सफल लैंड करने की जिम्मेदारी री एंट्री मॉड्यूल की होगी।
दो लॉन्च व्हीकल होंगे इस्तेमाल
इसरो चीफ के मुताबिक, भारत का सबसे भारी लॉन्च व्हीकल LVM-3 तीन कंपोनेंट के साथ लॉन्च होगा, जिसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल, डेसेंडर मॉड्यूल और एसेंडर मॉड्यूल शामिल होंगे। यह 2023 में चंद्रयान-3 मिशन के की तरह ही होगा। इसके बाद ट्रांसफर मॉड्यूल और री-एंट्री मॉड्यूल को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) पर लॉन्च किया जाएगा। इसरो ने अभी तक इस बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी है कि कौन सा लॉन्च सबसे पहले होगा।