Tiffin With Didi: कोटा की हर ‘दीदी’ होगी लखपतिः स्पीकर बिरला

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टिफिन विद दीदी’ में लोक सभा अध्यक्ष ने किया स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से संवाद

कोटा। Tiffin With Didi: संसदीय क्षेत्र कोटा-बूंदी प्रवास के दौरान लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला सोमवार को सांगोद विधान सभा क्षेत्र में गढ़ेपान और सीमलिया में ‘टिफिन विद दीदी’ कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भावनाओं के अनुरूप कोटा-बूंदी में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी प्रत्येक महिला को लखपति दीदी बनाया जाएगा।

स्पीकर बिरला ने कहा कि एक समय था जब ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं मूलभूत समस्याओं को बताने के लिए भी सामने नहीं आती थीं। लेकिन आज स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं आज हर गांव में सफलता की नई कहानियां लिख रही हैं। यह दीदियां अपने परिश्रम से सामाजिक-आर्थिक बदलाव लाते हुए महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

यह देख कर गर्व होता है कि महिलाएं हर क्षेत्र में नेतृत्व कर रही हैं। महिलाओं की उन्नति को और गति देने के लिए स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की पैकेजिंग और मार्केटिंग की समस्याओं को दूर किया जाएगा। उन्हें प्रशिक्षण तथा सस्ती दर पर कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित कर उनकी लागत को कम किया जाएगा, जिससे उन्हें अधिक मुनाफा हो।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजस्थान सरकार में ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि तब होगी जब हम महिलाओं की हर क्षेत्र में भागीदारी सुनिश्चित कर पाएंगे। महिलाएं हर कार्य लगन और परिश्रम से करती हैं, इस कारण वे पुरूषों से बेहतर परिणाम दे पाती हैं।

कार्यक्रम में भाजपा देहात जिलाध्यक्ष प्रेम गोचर, सुल्तानपुर पंचायत समिति प्रधान कृष्णा शर्मा, भाजपा महिला मोर्चा देहात जिलाध्यक्ष आशा त्रिवेदी, जिला परिषद सदस्य, राजनीता मेघवाल, दीगोद सीएलएफ अध्यक्ष मनप्रीत कौर सहित बड़ी संख्या में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं और प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

शौचालय बना तब घर लौटी
कार्यक्रम के दौरान सफलता की कहानी सुनाते हुए सीमलिया की संजूबाला सुमन ने बताया कि विवाह के बाद ससुराल आई तो वहां शौचालय नहीं था। एक बार मायके गई तो तब ही लौटी जब शौचालय बन गया। आज आसपास के क्षेत्र में 750 शौचालय बनवा चुकी हैं। स्वयं सहायता समूह से ऋण लेकर किराए पर खेत लेकर फसल की। उससे होने वाली बचत से दोनों बच्चों को इंजीनियरिंग करवाई। बच्चों के साथ स्वयं भी पढ़ी और शादी के कई साल बाद बीए की डिग्री प्राप्त की।

वर्मी कम्पोस्ट से जैविक कृषि तक
देवपुरा गांव की रेखा मेघवाल ने समूह बनाकर आटे और मसाला चक्की लगाई। कुछ आय होने लगी तो वर्मी कम्पोस्ट बनाने का प्रशिक्षण भी ले लिया। अब वे आसपास के किसानों को इस वर्मी कम्पोस्ट को बेचकर क्षेत्र में जैविक कृषि को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही हैं।