मंडी शुल्क कम हो तो राजस्थान में लग सकेंगे एक हजार नये उद्योग
कोटा। Rajasthan Association of Spices Business meet: राजस्थान में हर साल लगभग 12 हजार करोड़ के मसाले से जुड़ी फसलों का उत्पादन होता है। लेकिन यहां मंडी शुल्क अधिक होने से कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत कारोबार अन्य राज्यों में हो रहा है, जिसकी वजह से प्रदेश को बड़े राजस्व की हानि के साथ ही किसानों को भी नुकसान हो रहा है।
कोटा में राजस्थान एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेस संस्था के दो दिवसीय रीजनल बिजनेस मीट में रास के प्रदेश अध्यक्ष श्याम जाजू ने यह बात कही। संस्था द्वारा झालावाड़ रोड़ पर दो दिवसीय बिज़नेस मीट के दूसरे दिन समारोह के मुख्य अतिथि उर्जा मंत्री हीरालाल नागर रहे। जिसमें देश-विदेश से मसाला उद्योग से जुड़े उद्यमी, व्यापारी और किसान शामिल हुए। कार्यक्रम में पदमश्री से सम्मानित हुकमचंद पाटीदार का भी सम्मान किया गया।
इस अवसर पर उर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि मसाला उद्योग से जुड़े व्यापारियों, उद्यमियों और किसानों को फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी, उसकी क्वालिटी को बेहतर बनाने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। ताकि हमारा माल विदेशों में अधिक से अधिक निर्यात हो सके, जिससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था बेहतर हो और यहां के किसानों, व्यापारियों को उसका फायदा मिल सके।
उन्होंने कहा कि कोटा में पहले लहसुन, सब्जी के रूप में परिभाषित था, इसके लिए कोटा के व्यापारियों, लोकसभा अध्यक्ष और हमने मिलकर प्रयास किया और लहसुन को मसाले की श्रेणी में जगह दिलाई, जिसका फायदा यह हुआ कि आज हमारे कोटा की भामाशाह मंडी में लहसुन की इतनी आवक होती है कि ऑफ सीजन में भी सीजन के बराबर की आमदनी व्यापारियों को होने लग गई।
उन्होंने कहा कि मसाले प्राचीन काल से हमारे भोजन में शामिल हैं। उनके आयुर्वेदिक औषधि गुण हैं, जो कि हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद हैं। व्यापारियों को उनके गुणों को भी प्रचारित करना चाहिए, ताकि लोग उन्हें औषधि के रूप में उनका सेवन करें। इसका फायदा किसानों को भी होगा। बाजार में मांग बनी रहेगी, जिससे भावों में अचानक से तेजी और मंदी नहीं आएगी।
कोटा को फिर से उद्योग नगरी के रूप में पुनः पहचान मिले : माहेश्वरी
इस अवसर पर अतिथि के रूप में कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी ने कहा कि कोटा को उद्योग नगरी के रूप में पुनः पहचान मिले, इसके लिए कोटा में एग्रीकल्चर हब, स्पाईस पार्क, स्टोन पार्क की सौगात मिलनी चाहिए। इसके लिए कोटा के व्यापारी समय-समय पर अपनी मांग उठाते रहते हैं। सरकार को इस बारे में सकारात्मक पहल करनी चाहिए।
मंडी शुल्क कम करने पर विचार करे सरकार
राजस्थानी एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेस (रास) संस्था के सचिव महावीर गुप्ता ने कहा कि यदि मध्यप्रदेश और गुजरात की तर्ज पर यहां भी राजस्थान सरकार मंडी टैक्स कम कर दे तो सरकार को करोड़ों रुपयों के राजस्व का फायदा होगा। साथ ही प्रदेश में मसाले से जुड़े लगभग एक हजार नये उद्योग स्थापित होने की संभावनाओं के साथ ही एक लाख लोगों को रोजगार मिल सकेगा। किसानो को भी उनकी उपज का सही मूल्य मिलने के साथ ही दूसरे राज्यों में उपज ले जाने में खर्च भी बचेगा। इस बारे में सरकार को सकारात्मक रूप से मंडी शुल्क कम करने पर विचार करना चाहिए।
ताजा सेटेलाईट सर्वे से किसानों को यह लाभ
सेमिनार में संस्था द्वारा राजस्थान, गुजरात व मध्यप्रदेश के 18 जिलों के कराए गए सेटेलाइट सर्वे की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। जिसमें बताया गया कि संस्था द्वारा इन राज्यों में किसानों के खेतों का सर्वे कराया गया। इस तकनीक के माध्यम से यह फायदा होगा कि मसाला उद्योग से जुड़े व्यापारियों व कंपनियों व किसानों को यह अनुमान लग सकेगा कि कितना प्रोडक्शन होगा और डिमांड के अनुरूप कितना और बढ़ाना चाहिए। साथ ही सेटेलाईट सर्वे से किसानों को फसल के स्वास्थ्य की रिपोर्ट के साथ ही पौधे में रोग का कारण और उसका निवारण भी मिल सकेगा।
तीन साल तक खराब नहीं होते मसाले
संस्था सचिव महावीर गुप्ता ने कहा कि राजस्थान के मसाले उनकी खुशबू और तासीर पूरी दुनिया में सबसे बेहतर है। इनको तीन साल तक रखने पर भी खराब नहीं होते, जबकि अन्य राज्यों के मसाले दो महीने में ही खराब हो जाते हैं। हमारे प्रदेश के मसालों की यह खूबी किसानों और व्यापारियों के लिए काफी फायदेमंद है, इससे इनके भण्डारण में भी ज्यादा खर्च नहीं होता।
मसालों की जैविक खेती पर चर्चा
दूसरे दिन रविवार को मसालों पर परिचर्चा का आयोजन हुआ, जिसमें जीरा व धनिया उत्पादन एवं जैविक खेती तथा भावों के उतार चढाव पर चर्चा हुई। परिचर्चा में जी बिजनेस मुंबई के न्यूज एडिटर मृत्युंजय कुमार झा ने व्यापारियों के पैनल का संचालन किया। इस मौके पर कोटा से पूरण नागर, राजकुमार मित्तल, हेमंत जैन, कैलाश चंद दलाल, सत्यनारायण गुप्ता सहित बाहर के कई व्यवसायी शामिल रहे।