नई दिल्ली। बासमती धान का घरेलू उत्पादन 2022-23 सीजन के 110 लाख टन से भी 20 लाख टन बढ़कर 2023-24 के वर्तमान सीजन में 130 लाख टन पर पहुंच जाने का अनुमान है लेकिन फिर भी बासमती धान का थोक मंडी भाव ऊंचा एवं मजबूत बना हुआ है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार कुछ कठिनाइयों के बावजूद बासमती चावल का निर्यात प्रदर्शन बेहतर चल रहा है। ज्ञात हो कि सरकार ने अगस्त 2023 के अंतिम सप्ताह में बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) निर्धारित कर दिया था जो प्रचलित बाजार भाव से काफी ऊंचा था और इसलिए इसका निर्यात प्रभावित होने लगा था।
बाद में मेप को घटाकर 950 डॉलर प्रति टन नियत किया गया। इसके पश्चात लाल सागर क्षेत्र में यमन के हूती विद्रोहियों का आतंक बढ़ गया जबकि इस जलमार्ग से भारत से यूरोप को अन्य उत्पादों के साथ बासमती चावल का निर्यात भी बड़े पीएमने पर हो रहा था।
इस जल मार्ग से यातायात अवरुद्ध होने के बाद अब भारत से जहाज दूसरे रास्ते से जाने लगे हैं जो काफी लम्बा एवं खर्चीला है। इन चुनौतियों के बावजूद भारत से बासमती चावल का अच्छा निर्यात हो रहा है और इसका सिलसिला आगे भी बरकरार रहने की उम्मीद है।
पिछले सीजन के दौरान उत्पादित 110 लाख टन बासमती धान 66 प्रतिशत की औसत रिकवरी के आधार पर 72.50 लाख टन चावल का समतुल्य था। इसमें से 55 लाख टन सबूत बासमती चावल (50 प्रतिशत की रिकवरी रेट) तथा शेष टुकड़ी चावल की मात्रा शामिल थी।
वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत से करीब 45.60 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ जबकि शेष भाग की खपत घरेलू प्रभाग में हो गई। चालू वित् वर्ष के शुरूआती आठ महीनों में यानी अप्रैल-नवम्बर 2023 के दौरान देश से बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 29.90 लाख टन पर पहुंच गया जो वर्ष 2022 की समान अवधि के शिपमेंट 27.30 लाख टन से 2.60 लाख टन या 9.6 प्रतिशत अधिक रहा।
दिसम्बर 2023 से मार्च 2024 के दौरान इसका निर्यात प्रदर्शन और भी बेहतर रहने के आसार है क्योंकि एक तो देश में चावल का पर्याप्त निर्यात योग्य स्टॉक मौजूद है और दूसरे, प्रमुख आयातक देशों में रमजान की मांग भी निकल रही है। उधर घरेलू प्रभाग में भी बासमती चावल की मांग एवं खपत में अच्छी बढ़ोत्तरी हो रही है।