कैट ने वित्तीय लेन-देन के लिए दूसरे डिजिटल एप अपनाने का सुझाव दिया
नई दिल्ली। डिजिटल लेनदेन में देश की प्रमुख कंपनी पेटीएम की मुश्किलें आने वाले दिनों में और बढ़ सकती हैं। एक तरफ जहां वित्त मंत्रालय ने कंपनी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच शुरु कराने के संकेत दिए हैं, वहीं उच्च स्तर पर पेटीएम पेमेंट बैंक के बैंकिंग लाइसेंस को रद्द करने की संभावना पर भी विचार हो रहा है।
पिछले बुधवार को आरबीआई ने पेटीएम समूह के पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (PPBL) की लगभग सभी वित्तीय गतिविधियों को 29 फरवरी, 2024 के बाद से रोक लगाने का निर्देश दिया है। पेटीएम की तरफ से ग्राहकों को यह भरोसा दिया जा रहा है कि उनका डिजिटल पेमेंट एप सामान्य तौर पर आगे भी काम करता रहेगा, लेकिन बाजार का माहौल पेटीएम के खिलाफ जाता दिख रहा है।
देश में खुदरा कारोबारियों के संगठन कैट ने अपने सभी सदस्यों को कहा है कि वो पेटीएम से दूरी बनायें व दूसरे डिजिटल भुगतान एप को अपनाएं। सरकारी सूत्रों ने बताया कि पेटीएम पेमेंट बैंक के भीतर नियमों के उल्लंघन को लेकर पहले ही केंद्रीय बैंक की तरफ से संबंधित एजेंसियों को सतर्क किया गया था।
आरबीआई ने अपने निर्देश में यह बताया है कि पहले विस्तृत आडिट रिपोर्ट में और उसके बाद बाहरी एजेंसियों से कराये गये जांच में यह बात सामने आई है कि पेटीएम बैंक में नियमों के अनुपालन में लगातार खामियां पाई गई हैं। इन खामियों के बारे में कोई खुलासा तो नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों का कहना है,
मुख्य अनियमितता यह पाई गई है कि एक ही पैन खाता पर सैकड़ों खाताओं को खोला गया है और एक ही खाता से सैकड़ों लोगों को भुगतान किया गया है। ये वित्तीय लेन-देन करोड़ों रुपये का है जिससे इस गैर कानूनी तरीके से नकदी हस्तांतरण का मामला बनता है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह संगठित गिरोहों की तरफ से किया गया है या व्यक्तिगत स्तर पर कालेधन को खपाने व एजेंसियों की नजर से बचने के लिए किया गया है, लेकिन निश्चित तौर पर यह मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है।
‘ED से जांच करवा सकती है सरकार’
एक दिन पहले राजस्व सचिव (वित्त मंत्रालय) संजय मल्होत्रा ने मीडिया को बताया है कि अगर गैरकानूनी तरीके से मनी ट्रांसफर की बात में सच्चाई है तो सरकार पेटीएम बैंक के मामले की जांच ईडी से करवा सकती है। प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के बीच पेटीएम की स्थिति को लेकर बातचीत हुई है। सरकार ने इस बात को काफी गंभीरता से लिया है कि जब पिछले कुछ वर्षों के दौरान वित्तीय लेन-देन को साफ व पारदर्शी बनाने के लिए लगातार कदम उठाये गये हैं तब प्रौद्योगिक आधारित एक वित्तीय संस्थान ने इन नियमों को धत्ता बताया है। अभी डाटा की सुरक्षा सरकार के लिए एक बड़ा मुद्दा है और पेटीएम का मामला इसे और चिन्हित करता है।
ऐसे में मौजूदा पेटीएम जैसे नये वित्तीय संस्थानों को लेकर केवाइसी (ग्राहकों की पहचान सत्यापित करने संबंधी नियम) को नये सिरे से निर्धारित करने का काम भी होगा। पेटीएम को लेकर भी चिंता है कि एक जिम्मेदार कंपनी के तौर पर इसने अपने स्तर पर इन खामियों की समय पर पहचान नहीं की। बाद में जब कंपनी को मालूम हुआ तो उसकी तरफ से नियामक एजेंसी को सूचना नहीं दी गई।