मसूर के शुल्क मुक्त आयात की अवधि एक साल बढ़ाई है, खाद्य तेलों की नहीं

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वित्त मंत्रालय ने दिया स्पष्टीकरण

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि खाद्य तेलों पर आयात नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है और इसकी स्थिति पूर्ववत रहेगी। केवल मसूर के शुल्क मुक्त आयात की अवधि एक साल के लिए बढ़ाई गई है।

केन्द्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा 23 दिसम्बर को जारी एक स्पष्टीकरण में कहा गया है कि मीडिया के कुछ वर्गों ने अपने मन से खबर छाप दी है कि सरकार ने 31 मार्च 2025 तक के लिए पाम तेल सोयाबीन तेल तथा सूरजमुखी तेल के लिए आयात शुल्क में कटौती की समय सीमा बढ़ा दी है। लेकिन यह खबर सही नहीं है।

क्रयबद्ध रूप से यह स्पष्ट किया जाता है कि केन्द्र सरकार ने इस तरह की न तो कोई अधिसूचना जारी की है और न ही सार्वजनिक तौर पर इसकी कोई घोषणा की है। मीडिया की इस आशय की रिपोर्ट सही नहीं है।

वित्त मंत्रालय के अनुसार केवल मसूर पर आयात शुल्क में छूट की वैधता अवधि को एक साल के लिए बढ़ाया गया है। इसके लिए 21 दिसम्बर 2023 को भारत के राजपत्र (गजट ऑफ इंडिया) में एक अधिसूचना सं० 65/2023- कस्टम जारी की गई थी जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि केवल मसूर के शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा को 31 मार्च 2024 से आगे एक साल और बढ़ाकर 36 मार्च 2025 निश्चित किया गया है। खाद्य तेलों के लिए स्थिति अपरिवर्तित रहेगी।

उल्लेखनीय है कि भारत में मसूर और खाद्य तेल- दोनों का ही रिकॉर्ड आयात हो रहा है जिससे इसकी कीमतों पर भारी दबाव बना हुआ है। 2023-24 सीजन के लिए मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर 6425 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जो 2022-23 सीजन के लिए नियत समर्थन मूल्य 6000 रुपए प्रति क्विंटल से 425 रुपए ज्यादा है।

मसूर का थोक बाजार भाव फिलहाल न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास ही चल रहा है। जहां तक खाद्य तेलों का सवाल है तो पाम तेल, सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल एवं सरसों तेल का भाव अपने उच्चतम स्तर से अब तक लगभग आधा घट चुका है।