नई दिल्ली। Stock Market Outlook: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से मौद्रिक नीति की समीक्षा की जा चुकी है और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीति अब सामने आ चुकी है, ऐसे में कैलेंडर वर्ष 2023 के प्रमुख आर्थिक घटनाक्रम मोटे तौर पर पूरा होने के करीब हैं।
विश्लेषकों ने कहा, जहां तक देसी घटनाक्रम का सवाल है, अब नजरें अंतरिम बजट/अनुदान मांग और 2024 में होने वाले आम चुनाव पर टिकी हुई हैं, जो भारतीय बाजारों को दिशा देगा। इन दोनों घटनाक्रमों के साथ वैश्विक स्तर पर भूराजनीतिक प्रगति, ब्याज दर की चाल, तेल की कीमतें और बॉन्ड प्रतिफल के अलावा इस पृ्ष्ठभूमि में विदेशी संस्थागत निवेशकों व देसी संस्थागत निवेशकों का निवेश अगले कैलेंडर वर्ष की पहली छमाही में बाजारों को आकार देगा।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के प्रबंध निदेशक जी. चोकालिंगम के मुताबिक, वैश्विक इक्विटी बाजार अब दरों का चक्र पूरा होने को लेकर आशावादी है। उनका कहना है कि बाजारों के लिए एकमात्र चिंता यह है कि क्या दुनिया भर में संचयी तौर पर हुई ब्याज बढ़ोतरी वृद्धि को धीमा कर देगी या फिर वैश्विक अर्थव्यवस्था में खासा सुधार होगा।
उन्होंने कहा, तेल की कीमतों में आई हालिया गिरावट, राज्य विधानसभा चुनाव के नतीजे और इस वजह से राजनीतिक स्थिरता के अनुमान और आर्थिक वृद्धि के परिदृश्य के कारण बाजारों पर हमारा नजरिया अल्पावधि के लिहाज से तेजी का है।
एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स साल 2024 में आम चुनाव से पहले 73,000 की ऊंचाई पर पहुंच सकता है, लेकिन अकेले तेल में संभावित तेजी ही देसी बाजारों के परिदृश्य को पटरी से उतार सकती है।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद जेफरीज के विश्लेषकों का मानना है कि यह साल 2024 के आम चुनाव में मोदी की जीत के अनुमान को पुष्ट करता है और भाजपा को 300 से ज्यादा सीटें मिल सकती है।
जेफरीज के प्रबंध निदेशक महेश नंदुरकर ने कहा कि निवेशकों के सेंटिमेंट में इस तरह की मजबूती देसी साइक्लिकल सेक्टर मसलन बैंक, इंडस्ट्रियल, बिजली, प्रॉपर्टी और मिडकैप के लिए बेहतर होगा।
विशेषज्ञों ने कहा कि मजबूत बहुमत के साथ भाजपा की वापसी से मध्यम अवधि में नीतिगत निरंतरता और राजकोषीय एकीकरण का संकेत मिलेगा। चुनाव से पहले सरकार ने मुफ्त खाद्य योजना का विस्तार पांच साल के लिए कर दिया है, एलपीजी सिलिंडर पर सब्सिडी में इजाफा किया है और खाद्यान्न निर्यात पर पाबंदी बढ़ा दी है।
नोमूरा के विश्लेषकों ने हालिया नोट में कहा है, अगर विपक्षी गठबंधन प्रतिस्पर्धी लोकलुभावन नीतियां अपनाता है और भाजपा को अपना समर्थन घटता नजर आता है तो और प्रोत्साहन की घोषणा का जोखिम है। वित्त वर्ष 25 के लिए हमें अगले बजट में राजकोषीय एकीकरण की उम्मीद है, लेकिन कमजोर वृद्धि एकीकरण को मुश्किल बना सकती है।