भोजन के हर निवाले के लिए जताएं प्रभु का आभार: कोठारी स्वामी

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कोटा। गुजराती समाज ने हर्षोल्लास के साथ दीपावली मिलन व अन्नकूट आयोजन किया गया। आयोजक अमरीश भाई पटेल ने बताया कि इस आयोजन में प्रमुख स्वामी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण का सत्संग मण्डल के सानिध्य में आयोजन किया गया। जिसमें स्वदर्शन कोठारी स्वामी, योगी प्रेम स्वामी, परम मुनि स्वामी व दिव्य मुनि स्वामी ने अपनी पावन उपस्थिति दर्ज करवाई।

गिरिश भाई पटेल ने बताया कि अन्नकूट में भगवान स्वामी नारायण को 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया गया, जो भोग समाज के लोग अपने घर से बनाकर लाए थे। समाज सेवी जी डी पटेल, हसमुख भाई पटेल, अरविंद भाई पटेल, गिरिश भाई पटेल, हितेश मोदी, निर्भय, औदिच्य व गिरीश पटेल सहित बडी संख्या में गुजराती समाज के स्त्री व पुरुषों ने सत्संग व अन्नकूट का आनन्द लिया।

ईश्वर का प्रसाद है अन्न
प्रमुख वक्ता स्वदर्शन कोठारी स्वामी ने कहा कि हमारे जीवन का आधार अन्न है, जो ईश्वर ने अमीर व गरीब सभी को समान रूप से दिया है। अमीर के उदर की शांति भी अन्न से होती है और गरीब की भी। ईश्वर ने चींटी से हाथी तक की व्यवस्था की है। अन्न सभी के जीवन का आधार है तो उसे कृतज्ञता भावना के साथ आदरपूर्वक भगवान को भोग लगाकर स्वीकार करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हवा, पानी और अन्न सब कुछ ईश्वर ने पूरे संसार को दिया है, जो हमारे जीवन का आधार है। हमारे जीवन में ईश्वर की कृपा, आशीर्वाद, और उपहार के रूप में जो प्राप्त हो रहा है, उसके लिए धन्यवाद अवश्य ज्ञापित करना चाहिए।

भक्ति भाव से करें भोजन
उन्होंने कहा कि भोजन को भक्ति भाव से किया जाय तो लाभ दुगना होता है। ठाकुर जी को भोग लगाकर हमें भोजन ग्रहण करना चाहिए। ईश्वर को मात्र आपकी श्रद्धाभाव व भक्ति भाव की आवश्यकता है, ना कि 56 भोग प्रसाद की। अपनी बात की सार्थकता के लिए उन्होंने इतिहास के उदाहरण बताते हुए कहा कि शबरी के झूठे बेर भी प्रेम भाव से अमर हो गए। सुदामा के चावल भी द्वारका में भगवान श्रीकृष्ण ने चाव से खाए थे, विदुर की भाजी के लिए दुर्योधन के 56 पकवानों को मना कर दिया था और कृष्ण को विदुरानी ने केले को छीलकर उसका गूदा तो फेंकने लगीं और छिलके श्री कृष्ण के हाथ में देने लगीं। श्री कृष्ण ने विदुरानी का भक्ति भाव देखते हुए बड़े ही प्यार से केले के छिलके खाए। उन्होने कहा कि ईश्वर मात्र भक्ति भाव को देखता है।

सतपथ पर चलने का संकल्प
समाजसेवी जीडी पटेल ने कहा कि ईश्वर की कृपा से हमें सत्संग का अवसर मिलता है और आज हम यहां से एक अच्छे कार्य का संकल्प लेकर अपने घर पहुंचे और संकल्प आपकी मर्जी व ईच्छा व शक्ति के अनुसार हो सकता है। उन्होंने कहा कि आत्म आंकलन करके आज की भौतिकवादी गलाकाट प्रतिस्पर्धा से बचना चाहिए। उन्होंने बताया कि वर्तमान में स्वामी नारायण के 1200 से अधिक मंदिर हैं, जिसमें से 350 मंदिर विदेशों में स्थित हैं। जहां श्री कृष्ण भक्ति के साथ वृद्ध, बच्चों व महिलाओं की उन्नति के लिए प्रकल्प चलते रहते हैं ।