अमावस्या तिथि आरंभ: 12 नवंबर, रविवार, दोपहर 02:45 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 13 नवंबर, सोमवार,दोपहर 2:57 तक
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
दिवाली का शुभ मुहूर्त: 12 नवंबर, सायं 5:40 मिनट से 7:36 मिनट तक
महानिशीथ काल मुहूर्त: रात्रि 11:39 मिनट से मध्यरात्रि 12: 31 मिनट तक
- 2023 दीपावली का अतिविशिष्ट मुहूर्त
- दोपहर 02:38 मिनट से 02:53 मिनट तक है
- शाम 06:45 मिनट से 06:58 मिनट तक है
- शाम 07:16 मिनट से रात्रि 07:53 मिनट तक है
- रात्रि 09:38 मिनट से 10:30 मिनट तक है
- रात्रि 12:22 मिनट से 12:32 मिनट तक है
- रात्रि 01:46 मिनट से 02:34 मिनट तक है
Diwali Lakshmi Pujan : दिवाली पर बिना पंडित माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने का संपूर्ण पूजन विधि हम आपको यहां बता रहे हैं, जिससे पूजन-अर्चन कर आप उनकी कृपा पा सकते हैं। आइए जानते हैं दिवाली के पावन पर्व पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, सामग्री और लक्ष्मी जी की आरती।
पूजन सामग्री लिस्ट
- मां लक्ष्मी, गणेश जी, माता सरस्वती और कुबेर देव की मूर्ति
- अक्षत्, लाल फूल, कमल के और गुलाब के फूल, माला, सिंदूर, कुमकुम, रोली, चंदन
- पान का पत्ता और सुपारी, केसर, फल, कमलगट्टा, पीली कौड़ियां, धान का लावा, बताशा, मिठाई, खीर, मोदक, लड्डू, पंच मेवा
- शहद, इत्र, गंगाजल, दूध, दही, तेल, शुद्ध घी, कलावा, पंच पल्लव, सप्तधान्य
- कलश, पीतल का दीपक, मिट्टी का दिया, रुई की बत्ती, नारियल, लक्ष्मी और गणेश के सोने या चांदी के सिक्के, धनिया
- आसन के लिए लाल या पीले रंग का कपड़ा, लकड़ी की चौकी, आम के पत्ते लौंग, इलायची, दूर्वा आदि।
पूजन का तरीका
- सबसे पहले साफ कपड़ा बिछाकर लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
- इसके बाद तीन बार जल पीकर आचमन करें।
- तत्पश्चात हाथ में जल, पुष्प और कुछ पैसे लेकर संकल्प बोलें। आप संकल्प हिंदी में भी बोल सकते हैं।
- संस्कृत में आप इस प्रकार से संकल्प कर सकते हैं-
हरि ॐ तत्सत्अद्य _ गोत्रोत्पन्न: _ नामोऽहम्संवत 2079 कार्तिक मासेकृष्ण पक्षे अमावस्या तिथौ सोमवासरे __ नगरे/ ग्रामेदीपावली
पुण्यपर्वणि आयुष्यम् आरोग्यं वर्धनार्थम् धनधान्यादि संपदार्थम् गणेशं महालक्ष्मीं प्रसन्नार्थम्। श्री गणेश लक्ष्मी पूजनं दीपावली च पूजनं करिष्ये।
हिंदी में इस प्रकार से संकल्प कर सकते हैं-
हरि ॐ तत्सत्
आज मैं _ गोत्र में उत्पन्न _ संवत 2079 कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को दिवाली पर्व की शुभ बेला में मैं अपने
परिवार सुख शांति के लिए,धन धान्य वृद्धि के लिए एवं मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पूजन करूंगा।
- ऐसा बोलकर हाथ में रखा जल, पुष्प व पैसे गणेश जी सामने रख दें।
- इसके बाद भगवान श्रीगणेश, माता लक्ष्मी की मूर्ति को पुष्प माला अर्पित कर उन्हें खीर, बताशे, फल, मिष्ठान इत्यादी का भोग लगाएं
- श्रीगणेश,माता लक्ष्मी के साथ इंद्र, वरुण, कुबेर, नवग्रह देवताओं का पूजन करें।
- इसके बाद कमलगट्टे की माला से इनमें से एक मंत्र का जाप करें।
- ॐ श्रीं ह्लीं श्रीं कमले कमलालयेप्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्लीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
- ॐ श्रीं श्रियै नमः
- ॐ महालक्ष्म्यै नमः
- इसके बाद आरती कर के परिवार के सदस्यों में प्रसाद वितरण करें।
यदि आप मिट्टी से बने लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करते हैं तो पिछले साल की लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ती को मंदिर से हटाकर विसर्जित कर दें।
अपने दुकान में बही खाते, कंप्यूटर आदि का भी पूजन करें क्योंकि पूरे वर्ष इन्हीं पर व्यापारिक और आर्थिक गतिविधियां होती हैं।
साथ ही एक थाली में 11 या 21 मिट्टी के दीए जलाएं और पूजा करके उन्हें द्वार, छत और घर के अन्य स्थानों पर रखें।
दो दीपक जलाएं: दिवाली पूजन के समय दो बड़े दीपक जलाएं जो रात भर जलते रहें जिसमें एक सरसों के तेल का और एक घी का दीपक।
मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति के दाहिनी ओर घी का दीपक रखें और बायीं ओर तेल का दीपक रखें। तेल का दीया इतना बड़ा होना चाहिए जो पूरी रात जलता रहे।
इसका तात्पर्य है कि घर में पूरी रात प्रकाश रहे जिससे मां लक्ष्मी के घर में आने का पथ प्रदर्शन होता रहे।
लक्ष्मी पूजन के बाद घंटी और शंख न बजाएं
ऐसा कहा जाता हैकि आरती के बाद देवी-देवता विश्राम करते हैं, इसलिए उसके पश्चात शंख और घंटी बजाने से उनकी निद्रा में बाधा आती है। इसीलिए मां सरस्वती, मां दुर्गा और मां लक्ष्मी के पूजन में रात्रि को घंटी एवं शंख नहीं बजाना चाहिए। घंटी बजाने का तात्पर्य होता है कि मां लक्ष्मी को घर से विदा करना। इसलिए अपने संस्थानों में दिन में लक्ष्मी-गणेश के पूजन के बाद आरती के समय शंख व घंटी बजा सकते हैं किंतु रात्रि में अपने घर में लक्ष्मी-गणेश पूजन के समय घंटी एवं शंख नहीं बजाना चाहिए।