नई दिल्ली। स्कूलों की ओर से मनमाने दामों पर किताबें और वर्दियां बेचने को मामले को सीबीएसई ने संज्ञान में लेते हुए कड़ा कदम उठाया है। सीबीएसई ने देशभर के संबद्ध स्कूलों को आदेश दिया है कि वे पाठ्यपुस्तक, स्टेशनरी, स्कूल बैग, वर्दी, जूते और इस तरह के अन्य सामान अपने परिसर में बेचना बंद करें।
बोर्ड ने स्कूलों से मान्यता से जुड़े उपनियमों का सख्ती से पालन करने और किसी तरह की कमर्शल गतिविधियों में शामिल नहीं होने को कहा है। कमर्शल गतिविधियों में छात्रों को उपरोक्त सामग्री कुछ चुने हुए विक्रेताओं से भी खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।
सीबीएसई द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि कुछ पैरंट्स की ओर से बोर्ड को शिकायत मिली है। इस शिकायत में कहा गया है कि स्कूल या तो खुद किताबें और वर्दियां बेचते हैं या कुछ चुने हुए वेंडर्स से ये सामान खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। इस तरह से स्कूल कमर्शल गतिविधियों में संलिप्त होते हैं। हालांकि उनको ऐसा करने से मना किया गया है।
सीबीएसई के चेयरपर्सन आर.के.चतुर्वेदी ने कहा, ‘दरअसल मुनाफाखोरों का एक गठजोड़ है। लेकिन हमारे संबद्धता उपनियमों में स्पष्ट किया गया है कि स्कूल सामुदायिक सेवा की इकाई है न कि कमर्शल इकाई। स्कूलों को प्रावधानों का पालन करने की जरूरत है।’
बोर्ड की ओर से कहा गया है कि सीबीएसई के संबद्धता उप नियम के नियम 19.1 (II) में उल्लेख किया गया है कि प्रबंधन यह सुनिश्चित करेगा कि स्कूल एक सामुदायिक सेवा के तौर पर चलाया जाए न कि एक बिजनस के तौर पर और किसी भी रूप में स्कूल का व्यावसायीकरण नहीं किया जाएगा।