अरहर-उड़द वायदा कारोबार को मंजूरी मिलने की संभावनाएं बढ़ी

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मुंबई। दालों के निर्यात से प्रतिबंध हटाने के साथ ही वायदा कारोबार को मंजूरी मिलने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। एनसीडीईएक्स चना वायदा की तरह अरहर और उड़द वायदा भी शुरू करने की मंजूरी चाहता है। एक्सचेंज अरहर और उड़द वायदा सौदों के लिए पूरी तरह तैयार भी है।

एक्सचेंज की तरफ से लगातार हो रही मांग और प्रस्तुत किए जा रहे आंकड़ों को देखते हुए सेबी इस मुद्दे पर विचार कर रहा है। सरकार की तरफ से कारोबार को मिल रहे प्रोत्साहन को देखते हुए जानकारों का मानना है कि जनवरी तक वायदा कारोबार को हरी झंडी मिलने की उम्मीद है।

किसानों को अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिले इस उद्देश्य से आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने सभी प्रकार की दालों के निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया है। करीब एक दशक  बाद दालों के निर्यात के दरवाजे दोबारा खोलने को मंजूरी मिली तो वायदा कारोबारियों को भी अपनी मांग पूरी होने की उम्मीद जागी है।

एक दशक से अरहर (तुअर) और उड़द वायदा सौदों पर पाबंदी लगी हुई है। बाजार में कीमतें बढ़ाने का आरोप लगाकर 23 जनवरी 2007 को तुअर और उड़द के वायदा सौदे बंद कर दिए गए थे। इसके बाद 18 दिसंबर 2009 को मसूर वायदा पर भी रोक लगा दी गई थी।

दलहन फसलों में चना वायदा पर भी 4 दिसंबर 2008 को रोक लगा दी गई थी जिसे 28 जुलाई 2016 को दोबारा शुरू करने की इजाजत दे दी गई। इसके बाद एनसीडीईएक्स लगातार मांग करता रहा है कि तुअर और उड़द वायदा शुरू करने की मंजूरी दी जाए।

दालों से निर्यात प्रतिबंध हटाने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए एनसीडीईएक्स ने कहा कि यह स्वागत योग्य कदम है, जब इनकी कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के नीचे हैं तो निर्यात खोलना बेहतर कदम है। यह तुअर और उड़द दालों का वायदा कारोबार शुरू करने का सबसे बेहतर समय भी है।

एनसीडीईएक्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी समीर शाह ने कहा कि चना वायदा से किसानों और उद्योग को सही कीमतों की जानकारी मिल रही है। बाजार के उतार चढ़ाव को आसानी से देखा जा सकता है।

चना वायदा की तरह तुअर और उड़द वायदा भी शुरू किया जाना चाहिए। इससे लाखों किसानों को अपनी उपज के मूल्य का सही संकेत मिलेगा और उनकी कीमतों में सुधार भी होगा।

  एनसीडीईएक्स के अधिकारियों का कहना है कि जुलाई 2017 से तुअर की कीमतों में 48 फीसदी, उड़द 54 फीसदी, मूंग में 72 फीसदी तक का उतार चढ़ाव देखने को मिला, जबकि चने के दाम में घट-बढ़ महज 28 फीसदी हुई है। इससे साबित होता है कि वायदा किसानों के हित में है।

यह समझना होगा कि बाजार में कीमतें मांग और आपूर्ति से प्रभावित होती हैं, जिन्हे समझने में वायदा बाजार सहायक होता है। दाल वायदा शुरू किए जाने की मांग पर सेबी के एक अधिकारी का कहना है कि यह सही है कि जब से चना वायदा दोबारा शुरू किए जाने के बाद से अरहर और उड़द वायदा भी शुरू करने की मांग की जा रही है।