मथुराधीश मंदिर पर अर्पित किए भक्ति के बीज, नवविलास उत्सव की पूर्णाहुति

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दशहरा पर जवारा की कलंगी बनाकर श्री..ठाकुर जी को धराया

कोटा। Mathuradhish Temple Kota: शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ मथुराधीश मंदिर पर चल रहे नव विलास उत्सव की सोमवार को पूर्णाहुति की गई। अश्विन शुक्ल एकम को रोपे गए भक्ति स्वरूप पूर्ण विकसित जवारे को पुष्टिमार्गीय रीति के अनुसार दशमी पर ठाकुर जी के शीश और चरणों पर पधराया गया। इस दौरान पाटनपोल स्थित मंदिर पर नई ध्वजा धराई गई।

ठाकुर जी श्री मथुराधीश प्रभु को उत्थापन के दर्शनों के समय शीश पर जवारा की कलंगी बनाकर धराने के बाद ठाकुर जी के चरणों पर ज्वारे पधराए गए। इसके बाद श्रीबल्लभ रीति के अनुसार लालन बावा ने गादी पर जवारे धराए। प्रभु के शयन के दर्शनों के बाद शस्त्र पूजन भी किया गया।

प्रथम पीठ युवराज गोस्वामी मिलन कुमार बावा ने बताया कि पुष्टिमार्ग में विभिन्न रीतियों का अलग तरीके से प्रचलन है। पुष्टिमार्ग में नवरात्र के दौरान नवविलास उत्सव होता है। जिसकी पूर्णाहुति दशमी पर राजस, तामस, सात्विक और निर्गुण भाव के साथ की जाती है। जवारे प्रभु की भक्ति के प्रतीक हैं, जिन्हें प्रभु को पधराकर समर्पण भाव प्रकट किया जाता है।