घरेलू बाजार में सोना 61 हजार रुपये के पार जाने की संभावना, जानिए क्यों

0
64

नई दिल्ली। Gold Future: इजरायल की तरफ से हमास के ऊपर किए जा रहे हमलों के बीच मिडिल ईस्ट में बढ़ते जियो पॉलिटिकल टेंशन के साथ ही अमेरिका में ब्याज दरों में और बढ़ोतरी की संभावना के कमजोर पड़ने से गोल्ड के लिए पिछला हफ्ता शानदार रहा।

घरेलू बाजार में कीमतें तकरीबन 3 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम तक बढ़ गई। जानकार संभावना जता रहे हैं कि मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर घरेलू कीमतें शार्ट-टर्म में 61 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम की ऊंचाई तक सकती हैं।

अंतरराष्ट्रीय मार्केट में गोल्ड की कीमतों में इस हफ्ते मार्च के दूसरे हफ्ते के बाद सबसे बड़ी तेजी देखी गई। जबकि ठीक इससे पहले के हफ्ते में गोल्ड 7 महीने के निचले स्तर पर चला गया था। पिछले हफ्ते के क्लोजिंग प्राइस के मुकाबले इस हफ्ते गोल्ड की कीमतों में 90 डॉलर प्रति औंस से ज्यादा का इजाफा देखा गया। वहीं पिछले हफ्ते के निचले स्तर के मुकाबले कीमतों में 6 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखी गई। यूएस गोल्ड फ्यूचर्स इस हफ्ते 1941.50 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ।

घरेलू स्तर पर कीमतें पिछले हफ्ते के निचले स्तर 56,075 के मुकाबले तकरीबन 6 फीसदी तेज हुई। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी एमसीएक्स (MCX) पर सोने को बेंचमार्क दिसंबर कॉन्ट्रैक्ट इस हफ्ते के अंत में 59,415 रुपये प्रति 10 ग्राम दर्ज किया गया।

ठीक इसी तरह की तेजी स्पॉट मार्केट में देखी गई। इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के मुताबिक हफ्ते के अंतिम कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को सोना 24 कैरेट (999) 58,396 रुपये प्रति 10 ग्राम दर्ज किया गया। जबकि पिछले हफ्ते यह 56,539 के स्तर पर दर्ज किया गया था। इस तरह से यहां भी तेजी 3 फीसदी से ज्यादा रही।

ऑगमोंट गोल्ड की रिसर्च हेड रेनिशा चैनानी के अनुसार इजरायल और हमास के बीच चल रहे सैन्य संघर्ष के मद्देनजर निवेश के सुरक्षित विकल्प के तौर पर सोने की मांग बढी है। साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अधिकारियों की तरफ से ब्याज दरों में और बढ़ोतरी से बचने का संकेत दिए जाने से यूएस बॉन्ड यील्ड (US bond yield) में आई गिरावट से भी सोने को सपोर्ट मिला। इस हफ्ते 10 वर्षीय यूएस बॉन्ड यील्ड में 17.71 बेसिस प्वाइंट्स की गिरावट आई। फिलहाल यह 4.63 फीसदी के स्तर पर है।

यदि आप गोल्ड होल्ड करते हैं तो अमेरिकी बॉन्ड यील्ड (US bond yield) में गिरावट गोल्ड के अपॉर्चुनिटी कॉस्ट (opportunity cost) को घटा देती है। क्योंकि सोने पर आपको कोई यील्ड/ इंटरेस्ट नहीं मिलता।

जानकारों का मानना है कि इजरायल की तरफ से गाजा पट्टी पर जमीनी हमले (ground operation) की शुरुआत होते ही मिडिल ईस्ट में तनाव चरम पर पहुंच गया है। इन परिस्थितियों में सोने की मांग और बढ़ सकती है।

रेनिशा चैनानी के मुताबिक मौजूदा जियो-पॉलिटिकल परिस्थितियों के मद्देनजर सोना के लिए शॉर्ट-टर्म टारगेट 2,000 डॉलर प्रति औंस का है। जबकि घरेलू बाजार में सोना 61,000 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के लेवल को पार कर सकता है।

जियो-पॉलिटिकल टेंशन, महंगाई के अलावा केंद्रीय बैंकों की तरफ से लगातार हो रही खरीद गोल्ड के लिए प्रमुख सपोर्टिव फैक्टर है। इससे पहले इसी वर्ष 6 मई को MCX पर सोने की कीमत 61,845 रुपये प्रति 10 ग्राम के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।

इस बीच मिडिल ईस्ट में बढते जियो पॉलिटिकल टेंशन और अमेरिका की तरफ से रूस से तेल निर्यात पर जारी प्रतिबंधों को और सख्त किए जाने से शुक्रवार को तेल की कीमतों में तकरीबन 6 फीसदी की तेजी देखने को मिली और ब्रेंट क्रूड 90.89 डॉलर प्रति बैरल पर दर्ज किया गया। इस तरह से पिछले हफ्ते के मुकाबले ब्रेंट की कीमतों में 7.5 फीसदी की तेजी आई। फरवरी के बाद से ब्रेंट की कीमतों में साप्ताहिक आधार पर यह सबसे बड़ी तेजी है। ।

केडिया एडवाइजरी के अजय केडिया के मुताबिक अगर तेल की कीमतों में तेजी जारी रहती है तो निवेश के सुरक्षित (safe-haven) विकल्प के तौर पर सोने की मांग में और इजाफा हो सकता है। क्योंकि इनफ्लेशन के खिलाफ ‘हेज’ (hedge) यानी बचाव के तौर पर सोने की पूछ-परख बढ जाती है। इसका आम तौर पर मतलब यह है कि मुद्रा के बजाय सोना रखने से कीमतें बढ़ने पर भी आपकी खर्च करने की शक्ति सुरक्षित रहती है।

हालांकि तेल की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर इनफ्लेशन में तेजी की स्थिति में फेडरल रिजर्व पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी को लेकर दबाव बन सकता है। लेकिन ज्यादातर जानकार मानते हैं कि ब्याज में बढोतरी की संभावना अब नहीं के बराबर है, भले ही महंगाई में यहां से थोड़ी तेजी क्यों न आ जाए।

जानकारों की मानें तो ब्याज दर की जगह पर जियो पॉलिटिकल अनिश्चितता फिलहाल निवेशकों के लिए प्रमुख फैक्टर हो गया है और कीमतें शार्ट-टर्म में इसी जियो-पॉलिटिकल अनिश्चितता की वजह से मूव करेगी।

अजय केडिया के अनुसार ब्याज दरों में लगातार तेजी से अर्थव्यवस्था में पहले से ही धीमापन है दूसरे यदि तेल की कीमतें बढ़ती है तो यह अर्थव्यवस्था के लिए और मुसीबत खड़ा करेगी। लेकिन यह सोने के लिए शुभ हो सकता है।