नई दिल्ली। Basmati Rice Export Price: सरकार ने आज कहा कि अगस्त में बासमती चावल के निर्यात पर लगाए गए 1,200 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) की समीक्षा फिलहाल विचाराधीन है। हालांकि शनिवार को इसे अगले आदेश तक बढ़ा दिया गया था। एमईपी की समीक्षा की पहल 15 अक्टूबर को की गई थी।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब बासमती चावल पर एमईपी बढ़ाए जाने से नाराज कुछ निर्यातकों ने किसानों से नई बासमती किस्म की खरीदारी बंद कर दी है। इससे पिछले कुछ समय में खुले बाजार में इसकी कीमतों में करीब 300 से 400 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है।
कुछ निर्यातकों की मांग है कि विदेशी बिक्री में सुधार के लिए एमईपी को घटाकर 900 से 1,000 डॉलर प्रति टन किया जाए। हालांकि कुछ निर्यातकों और अधिकारियों ने एमईपी में वृद्धि को इस आधार पर उचित ठहराया है कि करीब 3,835 रुपये प्रति क्विंटल की खरीद मूल्य मानने के बाद भारतीय बासमती चावल का मौजूदा एफओबी (फ्री ऑन बोर्ड) निर्यात मूल्य मुंद्रा और जेएनपीटी बंदरगाहों पर लगभग 1,170 डॉलर प्रति टन होता है।
मौजूदा एमईपी बासमती चावल के एफओबी मूल्य से करीब 30 डॉलर प्रति टन अधिक है। इससे अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के लिए खरीद मूल्य में मामूली वृद्धि होती है। एक व्यापारी ने कहा, ‘यह मामूली प्रीमियम है जिसे अंतरराष्ट्रीय खरीदार भारतीय बासमती चावल के लिए आसानी से भुगतान कर सकते हैं क्योंकि वह एक खास उत्पाद है।’
करीब 3,835 रुपये प्रति क्विंटल की खरीद मूल्य के आधार पर भारतीय बासमती चावल का कुल अंतिम मूल्य मुंद्रा बंदरगाह पर 9,692 रुपये प्रति क्विंटल और जेएनपीटी पर करीब 9,688 रुपये प्रति क्विंटल है।
हालांकि एमईपी में कटौती किए जाने का समर्थन करने वाले व्यापारियों का कहना है कि बासमती चावल की पुरानी किस्मों के लिए एफओबी मूल्य पहले से ही एमईपी के करीब है। ऐसे में नई पूसा 1121 किस्म के बाजार में आने पर कीमतों में गिरावट होगी जिससे किसानों को नुकसान होगा।
खबरों में कहा गया है कि अब तक कुल उपज का महज 30 फीसदी हिस्सा ही बाजार में आया है जबकि शेष 70 फीसदी हिस्सा आगामी सप्ताह में बाजार तक पहुंचेगा। आज जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि बासमती की नई फसल बाजार तक पहुंचने लगी है और आमतौर पर ऐसे समय में दाम घट जाते हैं।