नई दिल्ली। Tensions with Canada: कनाडा के साथ रार से भारत में मसूर की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। क्योंकि भारत कनाड़ा से बड़े पैमाने पर मसूर का आयात करता है। हालांकि जानकारों का कहना है कि यह संकट तभी पैदा हो सकता है, जब कनाडा के साथ विवाद लंबा खिंचता है।
इस साल कनाडा से मसूर का आयात तेजी से बढ़ रहा है। वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई अवधि में 4.66 लाख टन मसूर का आयात हुआ है, जो पिछली समान अवधि के 1.06 लाख टन से 339 फीसदी अधिक है। जुलाई तक आयात हुई 4.66 लाख टन मसूर में 1.90 लाख टन मसूर कनाडा से आयात हुई है। जिसकी कुल मसूर आयात में हिस्सेदारी 40 फीसदी से अधिक है।
पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में कनाडा से महज 36,807 टन मसूर आयात हुई थी। इस तरह इस वित्त वर्ष जुलाई तक कनाड़ा से मसूर आयात 5 गुना से भी ज्यादा बढ़ा है। वित्त वर्ष 2022-23 में आयात हुई कुल 8.58 लाख टन मसूर में से 4.85 लाख टन कनाडा से, वर्ष 2021-22 में 6.67 लाख टन में 5.23 लाख टन, वर्ष 2020-21 में 11.16 लाख टन में से 9.09 लाख टन और वर्ष 2019-20 में 8.54 लाख टन में 6.48 लाख टन मसूर कनाडा से आयात हुई थी।
दलहन कारोबारी व आयातक बी सी भरतिया ने बताया कि भारत मसूर आयात के मामले में कनाडा पर निर्भर है। ऐसे में कनाडा से विवाद का मसूर आयात पर असर पड़ना स्वाभाविक है। हालांकि फिलहाल इस विवाद का ज्यादा असर होना मुश्किल लग रहा है। अगर विवाद लंबा खिंचा तो असर पड़ सकता है। चूंकि कनाडा में पैदा होने वाली आधी से ज्यादा मसूर भारत को निर्यात की जाती है।
ऐसे में कनाडा के लिए भारत को मसूर का निर्यात रोकना भी मुश्किल भरा होगा। आईग्रेन इंडिया में जिंस विश्लेषक राहुल चौहान कहते हैं कि अगर विवाद ज्यादा दिनों तक चला और द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्ते बिगड़े तो निश्चित रूप से देश में मसूर आपूर्ति का संकट हो सकता है। कनाडा से मसूर आयात प्रभावित होने पर भारत के पास आस्ट्रेलिया व यूएस का विकल्प है। भारत ने यूएस से मसूर आयात के लिए आयात शुल्क में राहत भी दी है। हालांकि कनाडा के मुकाबले इन देशों के मसूर की गुणवत्ता कमजोर है।