कोटा के कुछ लालची कारोबारियों की नजर झालावाड़ रोड स्थित इंद्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र के बंद पड़े कारखाने या खाली पड़े भूखंडों की जमीन को कब्जाने की है, ताकि वे वहां अपने होटल, हॉस्टल,मैस बनाकर मोटा मुनाफा कमा सके। इसके लिए वे राज्य सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं और औद्योगिक क्षेत्र के लिए आरक्षित इस जमीन का बचाव कर रहे रीको की उपयोगिता पर ही यह व्यापारी सवाल खड़े कर रहे हैं।
-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। Kota Industrial News: पहले ही औद्योगिक मंदी की मार झेल चुके कोटा में बचे-खुचे छोटे औद्योगिक संस्थानों को अपने आर्थिक स्वार्थ से वशीभूत कुछ व्यापारी नेता जिनमें से ज्यादातर भारतीय जनता पार्टी की राजनीतिक पृष्ठभूमि के पूर्व पदाधिकारी हैं, बंद करवा देने पर आमादा है।
लघु-मझोले उद्योगों के लिए आरक्षित जमीन को कब्जाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं या पहले ही कब्जाई जा चुकी जमीन का भू-उपयोग परिवर्तन करवा कर वित्तीय संस्थानों से मोटा ऋण हासिल करने के लिए राज्य सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनाने में जुटे हैं। इनका एकमात्र मकसद कोटा के लघु उद्योगों को नष्ट कर उनके लिए आरक्षित जमीन पर अपने होटल, हॉस्टल, मैस, पीजी हाउस खड़े करना है।
कोटा में 12-13 सितंबर को चम्बल नदी के तट पर स्थित विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल चंबल रिवर फ़्रंट और झालावाड रोड पर बंद हुए औद्योगिक कारखाने इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड की आवासीय कॉलोनी में विकसित किए गए ऑक्सीजोन सिटी पार्क का उद्घाटन होना है। इस भव्य आयोजन का हिस्सा बनने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों सहित प्रदेश के उच्च अधिकारी और कुछ विदेशी दूतावासों के राजदूत सहित कई गणमान्य लोग कोटा आ रहे हैं।
कोटा में राज्य सरकार के दो दिवसीय प्रवास के दौरान यहां राज्य मंत्रिमंडल की बैठक होना भी प्रस्तावित है। कुछ व्यापारी और व्यापारी नेताओं का भेष धरकर भारतीय जनता पार्टी के लिए राजनीति करने वाले यह नेता मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों और प्रशासनिक अधिकारियों पर यह दबाव बनाने की कोशिश करने वाले हैं।
यह चाहते हैं कि औद्योगिक भूखंडों के व्यावसायिक उपयोग के लिए भूमि उपयोग परिवर्तन के नियमों का सरलीकरण किया जाए, ताकि इस सरलीकरण की आड़ में यह चुनींदा व्यापारी नेता अपनी स्वार्थ सिद्धि करने में कामयाब हो सके।
व्यापारी बने इन भारतीय जनता पार्टी नेताओं का एक मात्र लक्ष्य झालावाड़ रोड पर स्थित इंद्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र है, जिसे राज्य सरकार ने कुछ दशकों पहले लघु उद्योगों की स्थापना के लिए आरक्षित किया था। वहां बड़ी संख्या में उद्योग लगे भी और चल भी रहे हैं। लेकिन कालांतर में जब जेके सिंथेटिक्स और उसकी अन्य संलग्न इकाइयां, इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड जैसे कुछ बड़े उद्योग बंद हुए तो उन पर आधारित कई छोटे उद्योग भी बंद होते चले गए।
बाद में विकल्प के रूप में कोचिंग इंडस्ट्री आई जिसने पहले नए कोटा शहर को अपना ठिकाना बनाया तो इन व्यापारियों ने नए कोटा की आवासीय क्षेत्र की जमीनों पर कब्जे करके उसे हॉस्टल, होटल, रेस्तरां, मैस, पेईंग गेस्ट हाउस में तब्दील कर दिया। आज यह सामान्य सी बात है कि नए कोटा क्षेत्र की कई आवासीय कॉलोनियों में रहने वाले लोगों ने बैंकों सहित अन्य वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेकर अपने आवासीय मकानों पर ऊंची-ऊंची मंजिलें खड़ी कर दी हैं, जहां बाहर से आने वाले कोचिंग छात्रों को किराये पर या पेईंग गेस्ट के रूप में रखा जा रहा है।
बीते करीब डेढ़ दशक से कोचिंग मालिकों ने अपना दायरा विस्तारित किया और तब इंद्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र में बड़ी संख्या में कोचिंग संस्थान खुलने लगे तो वहां भी धड़ाधड़ बंद-चालू लघु उद्योगों को खरीद कर उन्हें पहले बंद किया गया और बाद में वहां बिना भूमि उपयोग परिवर्तन की अनुमति के हॉस्टल, होटल, मैस आदि शुरू कर दिये। अब जो बचे हैं, उन पर भी इन कारोबारियों की नजर है। ये व्यापारी भूमि उपयोग परिवर्तन के नए नियम बनाकर वहां कोचिंग संस्थान, होटल, हॉस्टल खड़ी करने की तैयारी कर रहे हैं जिसके लिए कई तरह की दलीलें भी दी जा रही है।
इन कारोबारियों की ओर से सरकार की ओर से लघु उद्योगों के विकास के लिए बनाए गए संगठन रीको की उपयोगिता पर ही सवाल खड़े कर यह आरोप लगाया जा रहा है कि वह कोटा के विकास के मार्ग में बाधा बन रहा है। जबकि रीको औद्योगिक संस्थानों की स्थापना के लिए आरक्षित भूमि और वहां स्थापित उद्योगों के अस्तित्व को बचाने के लिए बने सरकारी नियमों का बचाव कर व्यापारियों और उनकी नियत की राह में बाधक बना हुआ है, जो इन व्यापारी नेताओं को रास नहीं आ रहा है।
झालावाड़ रोड पर स्थित इंद्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र की जमीनों या कारखानों की भूमि उपयोग परिवर्तन की मांग पर जोर है। लघु उद्योग तो डीसीएम रोड और छावनी-रामचंद्रपुरा रोड के बीच के लघु उद्योग क्षेत्र में भी है और वहां कुछ उद्योग बंद भी पडे हुए हैं। लेकिन वहां इनमें से कोई भी व्यापारी नेता अपना हॉस्टल, होटल, मैस नहीं खोलना चाहता क्योंकि वहां कोई कोचिंग संस्थान नहीं है।