Aditya L1: आदित्य L1 कुछ ही घंटों में सूर्य की यात्रा पर निकलेगा, ISRO तैयार

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श्रीहरिकोटा। Aditya L1 Mission launch updates: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के द्वारा एजेंसी देश के महत्वाकांक्षी सौर मिशन ‘आदित्य-एल1’ मिशन को आज करीब 11.50 बजे श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाना है।

आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सूर्य के परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। यह सूर्य के अध्ययन के लिए भारत का पहला समर्पित मिशन है जिसे इसरो ऐसे समय अंजाम देने जा रहा है जब हाल में इसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराकर देश को गौरवान्वित करने वाला इतिहास रच दिया है।

भारत सूर्य का अध्ययन करने के लिए पहला मिशन भेज रहा है। दुनियाभर में बीते छह दशक में सूर्य से जुड़े कुल 22 मिशन भेजे जा चुके हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अकेले 14 मिशन भेजे हैं। नासा ने 2001 में जेनेसिस मिशन लॉन्च किया था। इसका मकसद सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए सौर हवाओं का नमूना लेना था।

जो किसी ने नहीं किया वो हम करेंगे
आदित्य एल1 सौर कोरोना पर डेटा के साथ-साथ विजुअल इमिशन लाइन का अध्ययन करेगा। इस काम के लिए आदित्य एल1 में उन्नत उपकरण लगे हैं। आखिर यह कैसे काम करेगा आइए इस बारे में जानते हैं बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) के प्रोफेसर जगदेव सिंह से, जिन्होंने हिन्दुस्तान टाइम्स को खास इंटरव्यू में मिशन के बारे में बताया है। यहां पढ़ें उनका पूरा इंटरव्यू

आदित्य एल-1 पूर्ण स्वदेशी
आदित्य एल-1 मिशन पूर्ण रूप से स्वदेशी है। इसमें इस्तेमाल होने वाले अधिकतर उपकरण का देश में ही निर्माण हुआ है। बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) की अहम भूमिका है। इसी ने विजिबल एमिशन लाइन कॉर्नोग्राफ (वीईएलसी) पेलोड तैयार किया है। इसी तरह पुणे के यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स ने सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) पे-लोड बनाया है।

सूर्य मिशन के फायदे
1.सौर्य गतिविधियों और उससे जुड़े मौसम पर निगरानी हो सकेगी।
2.सूरज की तरफ से होने वाले मौसम में बदलाव पर नजर संभव।
3.सूर्य के तापमान का उपग्रहों पर क्या असर पड़ता है पता चलेगा।
4.सूर्य की गर्मी से उपग्रहों व उपकरणों का जीवन चक्र पता चलेगा।

सूर्य मिशन की चुनौतियां
1.सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर से अधिक है।
2.अंतरिक्ष में इस उपग्रह के टकराने की भी संभावना सबसे अधिक।
3.सूर्य के तापमान और भीषण गर्मी से मिशन को खतरा ज्यादा है।
4.उपग्रह में लगे उपकरण कितना सटीक काम करते हैं ये भी अहम।

कितनी गर्मी झेलेगा आदित्य एल-1
Aditya L1 Mission live updates: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने एक हजार डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्मी झेली थी। इसके बावजूद वो पूरी तरह से क्रियाशील था। इसरो के अनुसार आदित्य एल-1 को इतनी गर्मी नहीं झेलनी होगी क्योंकि वो नासा के मिशन की तुलना में सूर्य से काफी दूर होगा। भारत ने सभी सुरक्षा नियमों का ध्यान रखकर आदित्य एल-1 को तैयार किया है।