नई दिल्ली । अगर रियल एस्टेट सेक्टर को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो इसे स्टांप ड्यूटी और कर की कम दर के साथ लाया जाना चाहिए। यह बात इंडस्ट्रियल बॉडी एसोचैम ने कही है।
एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने कहा कि केंद्र निश्चित तौर पर वस्तु एंव सेवा कर (जीएसटी) के अंतर्गत रियल एस्टेट सेक्टर को लाने के पक्ष में है लेकिन इस मामले को राज्य सरकारों को खुद उठाना होगा क्योंकि यह राजस्व से जुड़ा मामला है।
एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा कि ऐसी खबरें सामने आ रही हैं कि रियल एस्टेट सेक्टर को स्टांप शुल्क और संपत्ति कर जैसे अन्य करों के बिना जीएसटी में शामिल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि लेकिन इससे कोई भी उद्देश्य पूरा नहीं होगा बल्कि इससे लोगों के बीच भ्रम बढ़ेगा। रावत ने बताया, “अगर इस क्षेत्र को बढ़ावा देना है तो इसे जीएसटी के तहत स्टांप शुल्क और कर की कम दर के साथ लाया जाना चाहिए और इसे आवास या निर्माण की लागत में नहीं जोड़ा जाना चाहिए।”
डी. एस. रावत ने आगे कहा कि इससे वास्तव में मांग बढ़ेगी। किसी भी हालत में सीमेंट को 28 फीसद की श्रेणी में रखना जायज नहीं ठहराया जा सकता है। वहीं रावत ने पेट्रोलियम, इलेक्ट्रिसिटी और शराब को भी जीएसटी के तहत लाने की वकालत की है।
जहां तक पेट्रोलियम सेक्टर की चिंता की बात है रावत ने कहा कि राज्य निश्चित तौर पर इस मुद्दे को बोर्ड के समक्ष नहीं रखेंगे क्योंकि राजस्व के स्तर पर वो निश्चित तौर पर पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर ही निर्भर हैं।