नई दिल्ली। आयकर विभाग (Income Tax Department) ने ऐसे नौकरीपेशा करदाताओं (Taxpayers) पर शिकंजा कस दिया है, जिन्होंने अधिक Tax कटौती और रिफंड के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया है। इनमें करीबी रिश्तेदारों से ली गई मकान के किराए की फर्जी रसीद, होम लोन के लिए अतिरिक्त दावे और दान से जुड़े फर्जी कागज शामिल हैं।
विभाग ने रिटर्न में गड़बड़ी पाए जाने पर इन करदाताओं के खिलाफ जांच शुरू कर दी है और नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। बताया जा रहा है कि आयकर विभाग ने इन करदाताओं को कर छूट का दावा करने के लिए सबूत के तौर पर दस्तावेज उपलब्ध कराने का कहा है। यही नहीं विभाग ने करदाताओं से आईटीआर तैयार करने और दाखिल करने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट या कर विशेषज्ञ का नाम, पता और संपर्क नंबर का खुलासा करने के लिए भी कहा है।
तकनीकी की मदद से आंकड़ों का मिलान: कर विशेषज्ञों के अनुसार, आयकर विभाग इस बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक और विभिन्न स्रोतों से जुटाए गए आंकड़ों (बिग डाटा) की मदद से दाखिल की गई रिटर्न की छंटाई कर रहा है।
अकसर करदाता अधिक कर छूट पाने के लिए किराए की फर्जी रसीद का इस्तेमाल करते हैं लेकिन अगर मकान मालिक ने अपने रिटर्न में किराए की राशि का ब्योरा नहीं दिया है तो एआई उसे तुरंत पकड़ रहा है। पहले इस काम में वक्त लगता था। करदाता को लगता है कि छोटी राशि के दावों की कौन जांच करेगा, इसलिए वे फर्जी का दावा कर देते हैं।
आठ हजार को जारी हुआ था नोटिस: इसके साथ ही विभाग ने दान के दावों की भी जांच शुरू की है। इसके तहत धर्मार्थ संस्थानों की तरफ से अपने रिटर्न में बताए गए आंकड़ों का दानदाता के विवरण के साथ मिलान किया जा रहा है। गौरतलब है कि विभाग ने इसी साल अप्रैल में दान के नाम पर कर चोरी करने वाले करीब आठ हजार लोगों को नोटिस जारी किया था। नोटिस पाने वालों में कंपनियां, कारोबारी, वेतनभोगी और व्यवसाय चलाने वाले लोग भी शामिल थे।
एआईएस की मदद
वार्षिकी सूचना रिपोर्ट (एआईएस) सुविधा को हाल ही में आयकर विभाग ने शुरू किया है। इसमें संबंधित वित्त वर्ष के दौरान चुकाए गए कर भुगतान और लेनदेन का ब्योरा शामिल रहता है। इसमें भरे गए कुल कर के अलावा वार्षिक आय, कितना किराया प्राप्त किया, बैंक बैलेंस, कितनी नकदी जमा की, कितनी नकदी निकाली, क्रेडिट और डेबिट कार्ड के लेनदेन, डिविडेंट, बचत खाते पर कितना ब्याज मिला, शेयर और म्युच्युअल फंड की खरीद-फरोख्त, विदेश यात्रा, संपत्ति की खरीद-फरोख्त, लंबी अवधि का मुनाफा, रिफंड समेत 46 तरह की सूचनाएं शामिल हैं। इसे आयकर विभाग की वेबसाइट से हासिल किया जा सकता है और रिटर्न में दिए गए आंकड़ों का मिलान किया जा सकता है।