नई दिल्ली । डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के इरादे से सरकार जीएसटी में छूट देने पर विचार कर रही है। इसके तहत किसी भी वस्तु या सेवा की खरीद पर डिजिटल पेमेंट किया जाता है तो लोगों को दो फीसद की रियायत मिलेगी।
वित्त मंत्रालय का मानना है कि छूट से सालाना 10 से 25 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने डिजिटल पेमेंट पर जीएसटी में दो फीसद छूट (सीजीएसटी और एसजीएसटी में एक-एक फीसद) का प्रस्ताव जीएसटी काउंसिल को भेजा है।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में काउंसिल की 10 नवंबर को गुवाहाटी में हुई बैठक के एजेंडा में यह प्रस्ताव शामिल किया गया था। हालांकि समय का अभाव होने के चलते इस पर चर्चा नहीं हो पायी थी।
इससे पहले काउंसिल की फिटमेंट कमेटी ने भी 30 अक्टूबर को इस पर विचार किया था लेकिन इस पर कोई सहमति नहीं बन पाई। वैसे केंद्र के इस प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की राय भी जुदा है।
उनकी चिंता इस प्रस्ताव के चलते होने वाली राजस्व हानि को लेकर है। वित्त मंत्रालय का अनुमान है कि डिजिटल भुगतान पर अगर जीएसटी में दो प्रतिशत की छूट दी जाती है तो इससे सरकार के खजाने को 10,800 करोड़ों रुपए से लेकर के करीब 26,000 करोड रुपए तक राजस्व हानि हो सकती है।
आइटी मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2016-17 में कुल 1076 करोड़ डिजिटल ट्रांजैक्शन हुए थे और प्रत्येक ट्रांजैक्शन का औसत मूल्य 1833 रुपये है।
ऐसे में मंत्रालय का मानना है कि अगर वर्ष 2017-18 में कुल ट्रांजैक्शनों की संख्या बढ़कर 1800 करोड़ हो जाए और ट्रांजैक्शन की औसत राशि 1500 से 1800 रुपये हो तो इससे खजाने पर 10,800 रुपये से लेकर 26,000 करोड़ का प्रभाव पड़ेगा।
डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने कार्ड, वॉलेट और ऑनलाइन भुगतान करने पर जीएसटी में दो प्रतिशत छूट का प्रस्ताव किया है।
प्रत्येक ट्रांजैक्शन पर अधिकतम छूट सिर्फ 100 रुपये की होगी। हालांकि यह सुविधा कंपोजीशन स्कीम के तहत पंजीकृत व्यक्तियों को उपलब्ध नहीं होगी।
इसके पीछे सरकार की सोच दरअसल यह है कि अगर कोई ग्राहक कैश में भुगतान करता है तो उसे पूरा जीएसटी देना होगा और यदि वह डिजिटल भुगतान करता है तो उसे दो फीसदी कम जीएसटी देना पड़ेगा।