कोटा। राजस्थान आंगनबाड़ी आशा सहयोगिनी वर्कर्स यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को कैंप कार्यालय में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिला। अध्यक्ष शकुंतला गुप्ता ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने आशा सहयोगिनियों को स्थाई कर्मचारी घोषित करने की मांग की। वहीं अन्य विभिन्न समस्याओं से भी अवगत कराया।
उन्होंने कहा कि सरकार ने आशा सहयोगिनी को बहुत अधिक काम दे दिया है। जो ऑनलाइन करना पड़ता है। आशा सहयोगिनी में से अधिकांश महिलाएं एकल, विधवा, परित्यक्ता अथवा निर्धन और पिछड़े वर्ग की हैं। जिनके पास एंड्राइड फोन नहीं है और न ही डाटा उपलब्ध है। पूर्व में सरकार ने आशा सहयोगिनी को सिम तो उपलब्ध कराई थी, लेकिन फोन नहीं होने के कारण सिम कुछ काम नहीं आ सकी।
ना ही सिम से कोई डाटा ही डलवाया गया। ऐसे में आशा डिजिटल एप, एनसीडी सर्वे, आशा ऐप, पीसीटीएस के कार्य करने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि आशा सहयोगिनी को टेबलेट एवं डाटा बैंलेस की सुविधा दी जानी चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि मानदेय और क्लेम फार्म (आशा साफ्ट) का पैसा हर महीने निश्चित समय पर दिया जाना चाहिए।जबकि ये तीन- चार माह में आता है। मानदेय 15 प्रतिशत बढ़कर आना चाहिये। उन्होंने बताया कि मंगलवार एवं गुरूवार को आंगनबाड़ी पर बैठना अनिवार्य कर दिया गया है।
जबकि इन दिनों में अगर डीएनएस का सर्वे भी करना पड़ता है। आशा सहयोगिनी दोनों में से एक ही काम कर सकती है। आशाओं को सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी मिलनी चाहिए।
इस अवसर पर अध्यक्ष शकुन्तला गुप्ता, कार्यकारी अध्यक्ष मधुकांता राजावत, महामंत्री कवंलजीत मीणा, सचिव रूपकला शर्मा, संरक्षक चम्पा वर्मा, निर्मला शर्मा समेत कईं आशा सहयोगिनी मौजूद रही।