वसुंधरा राजे सिंधिया ने कोटा से किया विधान सभा का चुनावी शंखनाद

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कोटा। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे सिंधिया रविवार को शंभूपुरा में आयोजित बीजेपी की महारैली में मौजूद विशाल जनसमूह के बीच आगामी विधान सभा चुनाव का शंखनाद किया।

उन्होंने ईआरसीपी, कोटा एयरपोर्ट, इलाज व कानून व्यवस्था समेत कई मुद्दों को लेकर कांग्रेस सरकार पर तीखे प्रहार किए। वहीं हाड़ौती अंचल व राजस्थान की जनता से अपने अटूट रिश्तों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कांग्रेस सरकार को आगाह करते हुए हाड़ौती वासियों को दो पंक्तियां समर्पित की और भाजपा की विजय का संकल्प दिया।

यहां शक्ति और साहस की,घर-घर अलग कहानी है,
क्रांति की मशाल लिए यहाँ,पग-पग एक जवानी है,
चट्टानों को चीर कर रख दे, इसकी अजब रवानी है,
ऐ सियासत भूल न जाना,यह चम्बल का पानी है
ऐ सियासत भूल न जाना,यह चम्बल का पानी है ॥

कोटा उत्तर से पूर्व विधायक रहे प्रहलाद गुंजल के आह्वान पर इस महारैली का आयोजन किया गया। जिसमें करीब एक लाख लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम में संबोधित करते हुए राजे ने आओ फिर से दिया जलाएं कविता से भाषण किया शुरू। राजे ने कहा कि मोदी सरकार ने 9 साल पूरे किए, ये नौ साल देश का सौभाग्य है। आज दुनिया भर में भारत का डंका बज रहा है। एक जमाना था की लोग हमारे देश की तरफ आंख उठा कर देखते थे, आज किसी की हिम्मत नही। सब आंख झुका कर बात करते है। केंद्र की योजनाएं लोगो को फायदा दे रही है। आज दूसरे देश भारत की तरफ देख रहे हैं।

राजे ने कहा–मैं अपनी बात इन पंक्तियां से शुरू करना चाहती हूँ। आओ फिर से दिया जलायें, भरी दुपहरी में अंधियारा, सूरज परछाई से हारा, अंतर तम का नेह निचोड़ें, बुझी हुई बाती सुलगायें, आओ फिर से दिया जलायें। आओ फिर से कमल खिलायें..अटल जी की इस कविता में एक लाइन मैंने जोड़ी है-आओ फिर से कमल खिलायें। क्योंकि अब कमल खिलाने का वक्त आ गया।

राजे ने कहा– राजस्थान में कांग्रेस के शासन में विकास तो हुआ पर राजस्थान का नहीं कांग्रेस का। विकास तो हुआ पर राजस्थान का नहीं भ्रष्टाचार का। विकास तो हुआ पर प्रदेश का नहीं महिला,दलित अत्याचार का।विकास तो हुआ पर राजस्थान का नहीं बेरोज़गारी का।पूरा प्रदेश इस सरकार से छुटकारा पाना चाह रहा है। कब चुनाव हो और कब इससे निजात पायें।

राजे ने कहा कि– गहलोत की सरकार अधिकांश काग़ज़ों, बयानों, निर्देशों, आपसी झगड़ों और होटलों में ही दिखाई दी। दो बड़े काम किये हैं इस सरकार ने या तो हमारी योजनाओं को बंद कर दिया या उनका नाम बदल दिया। हमने देश में पहली बार भामाशाह योजना शुरू कर महिलाओं को परिवार का मुखिया बनाया। उनके बैंक में खाते खुलवाये, जिससे विभिन्न सरकारी योजनाओं का पैसा उनके खाते में जमा होने लगा। इससे महिलाओं का सम्मान बढ़ा। वित्तीय समावेशन या Financial Inclusion की दुनिया की यह पहली बड़ी योजना थी।जिसे इस सरकार ने बंद कर दिया।

राजे बोली– हमने मुफ़्त इलाज के लिए भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की, उसका नाम बदल कर इन्होंने चिरंजीवी स्वास्थ्य कर दिया। हमारी योजना में सब अस्पतालों में ग़रीबों का फ़्री इलाज होता था, इनकी योजना में बड़े अस्पताल गरीब मरीज़ को घुसने तक नहीं देते। कहने को तो यह इस योजना में 25 लाख तक का इलाज होता है, लेकिन 2021 से लेकर अब तक औसतन साढ़े 11 हज़ार रुपये भी चिरंजीवी योजना में एक मरीज़ पर खर्च नहीं हुए ।

राजे ने कहा– हमने कोटा,बूंदी,झालावाड़,बारां सहित 13 ज़िलों का जीवन बदल ने वाली ईआरसीपी शुरू की। उसे भी इस सरकार ने राजनीति में उलझा कर छोड़ दिया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी की प्रेरणा से हमने नदियों को जोड़ने का काम शुरू किया, लेकिन सरकार बदलने के साथ ही ये काम भी रुक गया। हमने झालावाड़ में आहू और चंवली नदी को जोड़ने का काम पूरा किया। इससे झालावाड़ ज़िले के 31 गाँव लाभान्वित हुए।

झालावाड़,बारां और कोटा जिले के लिए महत्वपूर्ण परवन सिंचाई परियोजना भी वैसे की वैसे ही पड़ी है। जबकि हमारी इस योजना का श्रेय लूटने के लिए इन्होंने सितंबर,2013 में राहुल गांधी जी को बुलाया था। एक पत्थर लगाया । सत्ता में आए। फिर 5 साल कुछ नहीं किया। आज 2 लाख बीघा जमीन और करीब 950 गांव इसके पानी के इंतजार में हैं। हमने मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान शुरू किया।उसका परिणाम यह रहा कि उस वक्त प्रदेश का भूजल स्तर बढ़ा।सूखे हैंडपंप में पानी आया। जो कुएँ बरसों से सूखे थे।वे पानी से भर गये। इसे चलाते तो कितना फ़ायदा होता।

राजे ने कहा कि कोटा में व्यापारियों के साथ आए दिन लूट पाट हो रही है।साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है।खुले आम मर्डर हो रहे है। कोटा शहर की अधिकतर सड़के खुदी पड़ी है। रंग पुर फ्लाईओवर का एक हिस्सा टूट गया, यह कैसा विकास है। विकास के नाम पर कई लोगों की मौत हो गई।

राज्य सरकार ने कोटा का एयरपोर्ट उलझा कर छोड़ दिया है। चंबल के किनारे बसा होने के बावजूद भी कोटा शहर की दर्जनों कॉलोनियां मीठे पानी से वंचित हैं। लोग फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हो रहें हैं। कोटा जैसी परेशानियाँ बूंदी,बारां और झालावाड़ में भी है और मैं मानती हूँ कि यह सरकार हाड़ौती की उपेक्षा कर रही है।