जयपुर । प्रदेश के कृषि एवं पशुपालन मंत्री डॉ. प्रभुलाल सैनी ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा उदयपुर संभाग में पानी और पहाड़ों के साथ प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों की समृद्धता के बीच फसल वैविध्यता एवं बागवानी की उपलब्धता को देखते हुए एग्रो टयूरिज्म की संभावनाओं का अध्ययन कर इस क्षेत्र को एग्रो टयूरिज्म साईट के रूप में विकसित किया जाएगा।
इससे आदिवासी किसानों की आय में अभिवृद्धि होगी। कृषि मंत्री गुरुवार को यहां ‘ग्राम उदयपुर’ में आयोजित जाजम चौपाल को संबोधित कर रहे थे।
पर्यटन विभाग में सूचीबद्ध होंगी हाईटेक एग्री साईट्स
उन्होंने कहा कि उदयपुर संभाग अपनी ऎतिहासिक और सांस्कृतिक विशिष्टताओं के कारण विश्वभर के पर्यटकों की पहली पसंद है और अब ‘ग्राम उदयपुर’ के आयोजन के दौरान आए आउटपुट के आधार पर एग्रो टयूरिज्म के विकास की संभावनाएं भी सामने आई है।
सरकारी कृषि फार्मों, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और नवाचार कर रहे किसानों के खेतों को एग्रो टयूरिज्म स्पॉट के रूप में चिह्नित करते हुए पर्यटन विभाग में सूचीबद्ध कराया जाएगा।
मिलेगी पहचान, बढ़ेगी आय : कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की मंशा है कि उदयपुर संभाग के आदिवासी कृषक एग्रो टयूरिज्म के माध्यम से अपनी आजीविका को बढ़ाते हुए विकास की मुख्यधारा में आएं। एगो टयूरिज्म से उन्हें राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पहचान मिलेगी और खेतों मे होने वाली उपज के प्रदर्शन एवं विपणन का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
उन्होंने कहा कि आने वाला समय खेती किसानी का होने जा रहा है, आधुनिक खेती व नवाचार की दिशा में आगे बढते हुए उसका उपयोग एग्रो टयूरिज्म के रूप में भी किया जायेगा।
उन्होंने किसानों से आव्हान किया कि वे परम्परागत खेती के बजाय सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ लेकर इस प्रकार की खेती अपनाएं जिससे अधिक आय अर्जित की जा सके।
उदयपुर संभाग में बागवानी की विपुल संभावनाएंं बताते हुए उन्होंने कहा कि ड्रेगनफ्रूट, कांगडी, अनार, सीताफल, जैतून, मसाला फसलों एवंओषधीय फसलों के अलावा मछली पालन की दिशा में किसान आगे बढें।
उद्यानिकी जाजम चौपाल में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. उमाशंकर शर्मा, रजिस्ट्रार प्रियंका जोधावत सहित विभिन्न बागवानी विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों ने किसानों की समस्याओं का समाधान किया और विभिन्न जिज्ञासाओं को लेकर किसानों का मार्गदर्शन किया।