हमें मोटे अनाज को भोजन में शामिल करने की जरूरत है: प्रो. नीलिमा सिंह

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कोटा। कोटा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स दिवस पर वनस्पति विज्ञान विभाग में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है। यहां पर मोटा अनाज हमारा परम्परागत भोजन है। जंक फूड खाने वाले देशों को अब मोटा अनाज की आवश्यकता महसूस हो रही है। देशवासियों को मोटे अनाज को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए ।

कुलपति ने कहा कि मोटे अनाज में रेशे होते हैं, जिससे कि भोजन पचने में आसानी होती है। शरीर को जो जरूरी तत्व चाहिए, उनकी मात्रा मोटे अनाज में बहुत होती है। जंक फूड से हमेशा बचना चाहिए। कोटा विश्वविद्यालय के कुलसचिव आरके उपाध्याय ने कहा कि मक्का, बाजरा, खिचडी को भोजन में शामिल किया जाए।

सेमिनार की समन्वयक डाॅ. श्वेता व्यास ने कहा कि मिलेट्स के लिए उपभोक्ता, कृषक और जलवायु बहुत ही महत्वपूर्ण है। जल संवर्द्धन और जल संरक्षण बहुत आवश्यक है। विशिष्ट अतिथि छात्र कल्याण की डीन डाॅ. नीलू चौहान ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र वालों को मोटे अनाज की आवश्यकता होगी। हमारे यहां तो मोटे अनाज का प्रचलन परम्परागत है। इसके लिए कृषि पर्यावरण को संवारने की आवश्यकता है।

आयोजन समिति की डाॅ. पूनम शर्मा ने भी विचार व्यक्त किए। छात्र वर्ग ने भी विषय पर आलेख प्रस्तुत किए। कुलपति ने परिसर में बाॅटनीकल गार्डन एवं प्रयोगशाला का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर छात्र संघ अध्यक्ष अजय पारेता भी उपस्थित रहे।