नई दिल्ली। किसानों के लिए उर्वरक की कीमत स्थिर रखने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 24 के खरीफ सत्र में गैर यूरिया उर्वरकों (non-urea fertilizers ) के लिए 38,000 करोड़ रुपये सब्सिडी को मंजूरी दी है।
कुल मिलाकर केंद्र सरकार 2023-24 खरीफ सत्र के दौरान सब्सिडी पर 108,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी, जो बजट अनुमान का करीब 62 प्रतिशत है। इस 1,08,000 करोड़ रुपये में से करीब 70,000 करोड़ रुपये यूरिया के लिए है, जबकि शेष (38,000 करोड़ रुपये गैर यूरिया उर्वरकों के लिए है, जो सितंबर तक खरीफ 2023 में खर्च किया जाएगा।
रबी 2022 में सरकार ने करीब 52,000 करोड़ रुपये गैर यूरिया उर्वरकों के लिए उपलब्ध कराया था। वित्त वर्ष 24 के खरीफ सत्र में कम सब्सिडी वैश्विक व घरेलू दरों में गिरावट की वजह से है।
बहरहाल वैश्विक और घरेलू उर्वरकों की कीमत में गिरावट का पूरा असर कुल सब्सिडी की गणना में नजर आएगा। अधिकारियों ने कहा कि ज्यादातर मौजूदा स्टॉक उस समय जुटाया गया था, जब कीमत बहुत ज्यादा थी।
रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया के मुताबिक खरीफ 2023 में गैर यूरिया उर्वरक के लिए प्रति किलोग्राम सब्सिडी नाइट्रोजन पर 76 रुपये मंजूर की गई है, जो वित्त वर्ष 23 की दूसरी तिमाही से करीब 22 प्रतिशत कम है। फॉस्फोरस के लिए प्रति किलो 41 रुपये सब्सिडी मंजूर की गई है, जो वित्त वर्ष 23 की दूसरी छमाही से 39 प्रतिशत कम है। पोटैशियम के लिए15 रुपये किलो सब्सिडी, जो 36 प्रतिशत और सल्फर के लिए 2 रुपये किलो सब्सिडी तय की गई है, जो पिछले बदलाव से 67 प्रतिशत कम है।
सब्सिडी में आई कमी मुख्य रूप से उर्वरक की अंतरराष्ट्रीय कीमत घटने और ऊर्जा की लागत में गिरावट की वजह से है।
मांडविया ने कहा, ‘अप्रैल, 2023- मार्च, 2024 के खरीफ सत्र में उर्वरक सब्सिडी पर कुल 1.08 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें 70,000 करोड़ रुपये यूरिया के लिए और 38,000 करोड़ रुपये गैर यूरिया उर्वरक के लिए है।’
मांडविया ने कहा कि केंद्र सरकार यूरिया के लिए 2,126 रुपये प्रति बोरी, डीएपी के लिए 2,461 रुपये प्रति बोरी, एनपीके के लिए1,639 रुपये प्रति बोरी और एमओपी के लिए 734 रुपये प्रति बोरी सब्सिडी देती है। उन्होंने कहा, ‘यह सब इसलिए किया जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में उर्वरक की कीमत में हो रहे बदलाव से किसान बचे रहें।’
सरकार ने अनुमान लगायया है कि खरीफ सत्र में इस्तेमाल के लिए इस समय तक देश में करीब 150 लाख टन उर्वरक का भंडार है। इसमें 75 लाख टन यूरिया, 36 लाख टन डीएपी और 45 लाख टन एनपीके है। अधिकारियों ने कहा कि सालाना आयात का बड़ा हिस्सा अब दीर्घावधि सौदे से आता है। मांडविया ने कहा कि सरकार द्वारा सब्सिडी दिए जाने से यूरिया और डीएपी का खुदरा मूल्य अन्य देशों की तुलना में भारत में बहुत सस्ता होगा।