कोटा कोचिंग सिटी क्यों बन रही सुसाइड सिटी, जानिए इसके पीछे का सच

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कोटा में 4 साल में 56 आत्महत्या, कौन है इसके लिए जिम्मेदार?

-दिनेश माहेश्वरी-
कोटा। Suicide City Kota: कोचिंग सिटी अब सुसाइड सिटी बन चुकी है। गुरुवार को एक और 11वीं में पढ़ने वाले छात्र ने फंदा लगाकर अपनी जान दे दी। स्टूडेंट नीट की भी तैयारी कर रहा था।

गुरुवार सुबह साढ़े 8 बजे करीब उसका दोस्त महावीर नगर इलाके से आया था। उसने रूम पर जाकर देखा तो अंदर से गेट लगा हुआ था। फिर दरवाजे के पीछे से खिड़की खोलकर देखा तो वो पंखे से लटका हुआ था। सुसाइड करने वाला छात्र धनेश कुमार कोटा के लैंडमार्क सिटी इलाके में स्थित गिर्राज रेजिडेंसी में रहता था।

वह यूपी के बुंदेलखंड का निवासी था। प्रारंभिक तौर पर सामने आया है कि परिवार से दूर रहने के कारण वह डिप्रेशन में चला गया पिछले 5 महीने के आंकड़ों को देखें तो 8 स्टूडेंट सुसाइड कर चुके हैं।

इसके पहले मंगलवार 9 मई को विज्ञान नगर थाना क्षेत्र में एक मल्टी स्टोरी बिल्डिंग से 10 से माले से कूदकर एक स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया। स्टूडेंट नासिर (22) बेंगलुरु का निवासी था। जो कुछ समय पहले ही मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में रहने आया था। सुसाइड के एक दिन पहले जयपुर में नीट का एग्जाम देकर आया था। 26 अप्रैल को नीट की तैयारी कर रही छात्रा राशि जैन (19) ने सुसाइड कर लिया था । वह सागर (एमपी) की रहने वाली थी। एक साल से कोटा में रहकर नीट की कोचिंग कर रही थी।

14 जनवरी: यूपी निवासी अली राजा ने सुसाइड किया। कोटा में रखकर JEE की तैयारी कर रहा था। जो पिछले 1 महीने से कोचिंग नहीं जा रहा था।

15 जनवरी: उत्तरप्रदेश के प्रयागराज के रहने वाले रणजीत (22) फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया था। स्टूडेंट के पास सुसाइड नोट मिला। लिखा- मैं विष्णु का अंश हूं, मैं भगवान से मिलने जा रहा हूं। मामला कुन्हाड़ी इलाके का था।

19 जनवरी:जवाहर नगर थाना क्षेत्र में एक स्टूडेंट ने सुसाइड की कोशिश की है। स्टूडेंट ने खुद पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा ली। समय रहते स्थानीय लोगों ने उसे बचाया और हॉस्पिटल पहुंचाया। स्टूडेंट बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले का रहने वाला है।

29 जनवरी: विज्ञान नगर इलाके में कोचिंग स्टूडेंट ने सुसाइड की कोशिश की। स्टूडेंट हॉस्टल की चौथी मंजिल की बालकनी से नीचे कूद गया था। गंभीर हालत में उसे प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। स्टूडेंट के बालकनी से गिरते हुए का CCTV फुटेज भी सामने आया था।

8 फरवरी: कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र के लेडमार्क सिटी इलाके में एक छात्रा ने मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के 10वें माले से कूदकर सुसाइड कर लिया। छात्रा कृष्णा (17) बाड़मेर की रहने वाली थी।

24 फरवरी: यूपी के बदायूं का रहने वाले 17 साल के अभिषेक ने फांसी का फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली थी। वह दो साल से कोटा में रह रहा था। अभिषेक एक कोचिंग संस्थान से नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) की तैयारी कर रहा था। वह पिछले कुछ समय से कोचिंग नहीं जा रहा था और हॉस्टल से ही ऑनलाइन क्लास ले रहा था।

26 अप्रैल: जवाहर नगर थाना क्षेत्र में नीट की तैयारी कर रही एक स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया था। उसने हॉस्टल के रूम में फांसी लगाई। मृतका राशि जैन (19) एमपी के सागर की रहने वाली थी। जो एक साल से कोटा में रहकर नीट की कोचिंग कर रही थी। कोचिंग स्टूडेंट बीमार रहती थी। और मानसिक तनाव में थी।

9 मई: विज्ञान नगर थाना क्षेत्र में एक मल्टी स्टोरी बिल्डिंग से 10 से माले से कूदकर एक स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया। स्टूडेंट नासिर (22) बेंगलुरु का निवासी था। जो कुछ समय पहले ही मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में रहने आया था। सुसाइड के एक दिन पहले जयपुर में नीट का एग्जाम देकर आया था।

पिछले 4 साल में 56 आत्महत्या
इंजीनियरिंग और एमबीबीएस की तैयारी को लेकर पहली पसंद माना जाने वाले कोटा शहर में सुसाइड की बढ़ती घटनाओं ने हर किसी को झकझोर के रख दिया है। इस मुद्दे को विधायक पाना चंद मेघवाल ने राजस्थान असेंबली में भी उठाया। उन्होंने कोटा संभाग में छात्रों के आत्महत्या की संख्या और उनके कारणों की जानकारी मांगी। जिसके जवाब में प्रदेश सरकार ने एक लिखित डिटेल्स मुहैया कराई। इसमें सरकार की ओर से बताया कि संभाग में पिछले चार साल के दौरान सुसाइड की 56 घटनाएं हुईं।

फीस वसूलने की फैक्ट्री
सरकार ने भले ही कोचिंग संस्थानों और होस्टल्स के लिए गाइड लाइन जारी कर दी हो लेकिन, स्थिति यही ढाक के तीन पात। इनकी मॉनेटरिंग नहीं होने से इन पर कोई अंकुश नहीं है। उनका काम तो फीस वसूलने तक सीमित रहता है। कोचिंग संस्थानों का काम अख़बारों में बढ़ा-चढ़ा का विज्ञापन देकर ज्यादा से ज्यादा बच्चे अपने संस्थानों में लाना है। एक-एक क्लासरूम में 150 बच्चे, भेड़ बकरियों की तरह भरना। इतने बच्चों में पीछे वाले के समझ में आता है या नहीं। इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। टेस्ट में नंबर कम आये तो उसे और पीछे कर देंगे। सिर्फ संस्थानों को फीस से मतलब। हॉस्टल में भी यही हाल है। बच्चों पर कोई कंट्रोल नहीं। डिप्रेशन में बच्चे नशे के शिकार हो रहे हैं। आत्महत्याएं कर रहे हैं। नशे के सौदागर होस्टल्स और इन संस्थानों के दाएं बाएं ही रहे हैं। मौका मिलते ही अपने जाल में फंसा लेते हैं।

सबसे बड़ा डर, सिलेक्शन नहीं हुआ तो क्या होगा
रोज 15-16 घंटे पढ़ाई। सिर्फ 5 घंटे की नींद। हर सप्ताह काबिलियत का टेस्ट…और उससे भी बड़ा डर- जेईई/नीट में सिलेक्शन नहीं हुआ तो? मम्मी-पापा क्या कहेंगे? रिश्तेदार क्या कहेंगे? ये वो सवाल हैं, जो कोटा में कोचिंग कर रहे हैं लगभग हर एवरेज स्टूडेंट के दिमाग में घूमते हैं। तनाव बढ़ाते हैं। मासूम स्टूडेंट्स के इसी तनाव का फायदा नशे का कारोबार करने वाले उठा रहे हैं। स्ट्रेस दूर करने के नाम पर स्टूडेंट्स को ड्रग एडिक्ट बना रहे हैं।