वन्यजीव प्रेमियों ने क्षेत्र निदेशक से मिलकर बाघों की मौत पर चिंता जताई

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पर्याप्त स्टाफ की कमी पूर्ति और कमियों की हर पहलू की जांच होगी

कोटा। बाघ- चीता (चम्बल संसद) मित्रों के प्रतिनधिमण्डल ने शुक्रवार को मुकुंदरा के क्षेत्र निदेशक शारदा प्रताप सिंह से भेंट कर गर्भवती एमटी- 4 बाघिन की मौत पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि विभाग आश्वासन दे कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

बाघ- चीता मित्रों से क्षेत्र निदेशक से कहा कि बाघिन की मौत के बाद नए बाघ परिवार को रणथम्भौर के अलावा अन्य बाघ रिजर्व से लाया जाए। कम से कम दो जोड़े हों, जिन्हें अलग-अलग स्थान पर रखा जाए। मॉनीटरिंग के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित स्टाफ हो। केवल होम गार्डस से काम नहीं चलेगा। इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं की भी मदद ली जाए।

बाघ- चीता मित्र संयोजक बृजेश विजयवर्गीय, डॉ. सुधीर गुप्ता, चम्बल संसद के अध्यक्ष केबी नंदवाना, तपेश्वर सिंह, डॉ. कृष्णेंद्र सिंह, विनीत महोबिया, मनीष आर्य, मुकेश सुमन आदि ने मुकुंदरा के अधिकारियों से कहा कि केवल विशेषज्ञ डाक्टरों पर ही निर्मर नहीं रहा जाए। प्रशासनिक अनुभवों को भी काम में लिया जाए। यहां पर भी पशु चिकित्सकों की टीम मृत गर्भवती बाघिन का सही डायग्नोसिस नहीं कर सकी।

क्षेत्र निदेशक ने सभी आशंकाओं को सुना और आगे से ही पहलू को ध्यान में रखने का आश्वासन दिया। सिंह ने बताया कि मशालपुरा गांव के स्थानांतरण की कार्रवाई चल रही है। कुछ ही समय में बाघों के अनुकूल बनाया जा सकेगा। उन्होंने सरिस्का का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां बाघ विहीनता के बाद पुनः बाघों को बसाया गया है। मुकुंदरा में कुछ परेशानियों का शीघ्र ही समाधान किया जाएगा। हम भी चिंतित है लेकिन निराश नहीं। वार्ता में उप वन संरक्षक अनुराग भटनागर भी मौजूद रहे।