पासवर्ड याद रखने का झंझट खत्म, इसकी जगह काम करेगा पासकी फीचर

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नई दिल्ली। गूगल ने पासकी (Passkeys) को रोलआउट करना शुरू कर दिया है। गूगल इसे पासवर्ड के विकल्प के तौर पर लेकर आई है। दरअसल, पासकी को ऐप्स और वेबसाइट्स में साइन-इन करने का एक सिंपल और सुरक्षित तरीका माना जा रहा है और यह यूजर्स के बायोमेट्रिक्स पर निर्भर करेगा। कैसे काम करेगा नया सिस्टम जानते हैं-

गूगल ने अपने ब्लॉग पोस्ट में पासकी की घोषणा करते हुए कहा, “पिछले साल – FIDO एलायंस, ऐप्पल और माइक्रोसॉफ्ट के साथ – हमने घोषणा की कि हम पासवर्ड के आसान और अधिक सुरक्षित विकल्प के रूप में अपने प्लेटफॉर्म पर पासकी का सपोर्ट देने के लिए काम शुरू करेंगे। और आज, विश्व पासवर्ड दिवस से पहले, हमने सभी प्रमुख प्लेटफॉर्म पर गूगल अकाउंट्स में पासकी के लिए सपोर्ट देना शुरू कर दिया है।”

पासवर्ड की तुलना में, पासकी फिशिंग जैसे ऑनलाइन हमलों से भी ज्यादा सुरक्षा प्रदान करती है। ये एसएमएस वन-टाइम कोड जैसी चीजों की तुलना में भी ज्यादा सुरक्षित है, जिन्हें हैकर्स द्वारा इंटरसेप्ट किया जा सकता है। पासकी के साथ, यूजर का ऑथेंटिकेशन, क्रिप्टोग्राफिक-की पेयर का उपयोग करके क्लाउड के माध्यम से गूगल अकाउंट चलाने वाले उनके सभी डिवाइसे में सिंक्रनाइज हो जाएगा। बता दें कि यह तरीका, पासवर्ड और 2FA लॉगिन मेथड के साथ उपलब्ध होगा।

यह फीचर आज से गूगल यूजर्स के लिए शुरू हो गया है, जो अब नए ऐप/वेबसाइट पर साइन-इन करते समय पासकी ऑप्शन देखना शुरू कर देंगे। यह अभी के लिए प्राइवेट गूगल अकाउंट होल्डर्स के लिए उपलब्ध है और गूगल का कहना है कि जल्द ही यह सभी के लिए उपलब्ध होगा।

पासकी कैसे काम करेगी?
पासकी यूजर्स को एक टेंशन-फ्री साइन-इन एक्सपीरियंस प्रदान करते हैं क्योंकि पासकी के आने के बाद यूजर को अलग-अलग वेबसाइट्स के लिए लंबे पासवर्ड याद नहीं रखना पड़ेगा। पासकी यूजर्स को ऐप्स और साइट्स में ठीक वैसे ही साइन-इन करने देती हैं जैसे वे अपने डिवाइस को अनलॉक करते हैं यानी फिंगरप्रिंट, फेस स्कैन या स्क्रीन लॉक पिन के साथ।